लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार केस में सभी 26 आरोपी बरी हो गए हैं. निचली
अदालत के फैसले को पलटते हुए पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी
आरोपियों को बरी कर दिया.
आपको बता दें कि पटना की एक विशेष अदालत ने सात अप्रैल 2010 को बिहार के
अरवल जिले के लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार मामले में 16 अभियुक्तों को फांसी
और दस को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश विजय प्रकाश मिश्र ने इस मामले में 26 को दोषी ठहराते हुए उनमें से 16 को फांसी और दस को उम्रकैद तथा 31-31 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. 19 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. इस मामले के दो अन्य आरोपी भूखल सिंह और सुदर्शन सिंह की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मृत्य हो गयी थी.
भूमि विवाद को लेकर हुए इस नरसंहार में भूपतियों और उच्च जाति के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के लोगों ने एक दिसंबर 1997 को लक्ष्मणपुर-बाथे गांव में 58 दलितों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में 27 औरतें 16 बच्चे शामिल थे. रणवीर सेना के करीब 100 सशस्त्र सदस्य आरा से सोन नदी के जरिए लक्ष्मणपुर-बाथे गांव पहुंचे थे और इस नरसंहार को अंजाम दिया था.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश विजय प्रकाश मिश्र ने इस मामले में 26 को दोषी ठहराते हुए उनमें से 16 को फांसी और दस को उम्रकैद तथा 31-31 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. 19 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. इस मामले के दो अन्य आरोपी भूखल सिंह और सुदर्शन सिंह की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मृत्य हो गयी थी.
भूमि विवाद को लेकर हुए इस नरसंहार में भूपतियों और उच्च जाति के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के लोगों ने एक दिसंबर 1997 को लक्ष्मणपुर-बाथे गांव में 58 दलितों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में 27 औरतें 16 बच्चे शामिल थे. रणवीर सेना के करीब 100 सशस्त्र सदस्य आरा से सोन नदी के जरिए लक्ष्मणपुर-बाथे गांव पहुंचे थे और इस नरसंहार को अंजाम दिया था.

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