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Thursday, October 10, 2013

Happy Birthday रेखा, आज भी रेखा की आंखों के मस्ताने हजारों हैं


यूं तो रेखा की 'आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं' मगर हिंदी फिल्मों की सांवली सलोनी अभिनेत्री सिनेमा जगत में अपने अलहदा रूप-सौंदर्य और आकर्षण के लिए भी खूब मशहूर हैं.

उनकी मोहक अदा और मादक आवाज ने उनके अभिनय और संवाद अदायगी के साथ मिलकर दशकों तक बॉलीवुड और सिनेप्रेमियों के दिल में राज किया है.

जेमिनी गणेशन और पुष्पावली की संतान के रूप में 10 अक्टूबर 1954 को जन्मी रेखा का वास्तविक नाम भानुरेखा गणेशन है.

70 और 80 के दशक की अग्रणी अभिनेत्रियों में शुमार रेखा फिल्मों में बतौर बाल कलाकार तेलुगू भाषा की फिल्म 'रंगुला रत्नम' से कर चुकी थीं लेकिन 1970 में फिल्म 'सावन भादो' से उन्हें बॉलीवुड में एक अभिनेत्री के रूप में औपचारिक प्रवष्टि मिली और उसके बाद उन्होंने अपने रूप और सौंदर्य के साथ-साथ सिनेमा जगत में अपने अभिनय का भी लोहा मनवाया.

उन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया. रेखा ने एक तरफ सजा (1972), आलाप (1977), मुकद्दर का सिकंदर (1978), मेहंदी रंग लाएगी (1982), रास्ते प्यार के (1982), आशा ज्योति (1984), सौतन की बेटी (1989),बहूरानी (1989), इंसाफ की देवी (1992), मदर (1999) जैसी मुख्यधारा की फिल्मों में अपने अभिनय के जरिये नाम कमाया तो दूसरी तरफ उनकी निजी जिंदगी भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी.

करियर की शुरूआत में ही उनका नाम अभिनेता नवीन निश्चल से जुड़ा तो कभी किरण कुमार के साथ जोड़ा गया, यहां तक कि अभिनेता विनोद मेहरा के साथ गुपचुप शादी कर लेने की खबर भी उड़ी और अमिताभ बच्चन के साथ रेखा के रिश्ते की सरगोशियां तो आज तक लोगों के जुबां से हटी नहीं हैं.

ये देखना वाकई दिलचस्प है कि किस तरह से रेखा ने अपने दामन में आनेवाले हर कांटे को चुनकर...सहेजकर अपनी शख्सियत को और लाजवाब बनाया

रेखा की शख्सियत कुछ ऐसी है कि बहुत आसानी से उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.... अब तक हमने देखा कि रेखा कैसे अपनी पहचान और अपने वजूद दोनों की तलाश में पूरी तरह डूबी हुईं थीं... और यहीं कहीं रेखा अपनी ज़िंदगी भी तलाश रहीं थीं

एक कसक एक तड़प अब तक रेखा की ज़िंदगी का हिस्सा बनती जा रही थी...और कहने वाले ये तक कहते हैं कि रेखा जिस शीश महल की तरफ बढ रही थीं उसके दरवाज़े पत्थर के थे.

जीवन के 59 वसंत देख चुकीं खूबसूरत रेखा इस समय राज्यसभा सदस्य होने के साथ-साथ फिल्म जगत में भी सक्रिय हैं.

साल 2005 में आई फिल्म 'परिणीता' में रेखा पर फिल्माया गीत 'कैसी पहेली जिंदगानी' जैसे वास्तव में रेखा की जिंदगी को शब्दों में पिरोया हुआ गीत हो. रेखा को अपने अब तक के अपने फिल्मी सफर में दो बार (1981,1989) सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर अवार्ड और एक बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्मफेयर अवार्ड (1997) से नवाजा जा चुका है.

रेखा एक बार फिर अपने जीवन में अकेली हो गईं लेकिन बीच-बीच में सार्वजनिक समारोहों और कार्यक्रमों में शुद्ध कांजीवरम साड़ी और मांग में सिंदूर सजाकर रेखा लोगों के बीच कौतूहल का विषय बनती रहीं. रेखा की जिंदगी में प्यार कई बार और कई सूरतों में आया लेकिन जिस स्थायी सहारे और सम्मान की उन्हें जीवन में चाहत और जरूरत थी, उससे वह महरूम ही रहीं.

रेखा के लिए उद्योगपति मुकेश अग्रवाल के साथ विवाह (1990) भी उनके जीवन का दुर्भाग्य ही रहा. उनके पति ने शादी के एक साल बाद ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, तब रेखा न्यूयार्क गई हुई थीं. इस घटना के लिए रेखा को लंबे समय तक सवालों और आक्षेपों का सामना करना पड़ा था.

अमिताभ बच्चन के साथ रेखा की प्रेम कहानी तो आज भी एक पहेली ही है. कहा जाता है कि 1981 में बनी फिल्म 'सिलसिला' रेखा और जया भादुड़ी (बच्चन) के प्रेम के बीच बंटे अमिताभ की वास्तविक जिंदगी की सच्चाई पर आधारित थी. फिल्म बहुत सफल नहीं रही, बल्कि यह फिल्म रेखा-अमिताभ की जोड़ी वाली आखिरी फिल्म साबित हुई.

इसके बाद रेखा का नाम अभिनेता विनोद मेहरा के साथ जुड़ा, मगर मेहरा ने खुद अपनी शादी की बात कभी नहीं स्वीकारी.

लेकिन नवीन निश्चल के साथ रेखा का नाम जुड़ना उनकी जिंदगी में प्यार के आने और चले जाने की शुरुआत भर थी. नवीन निश्चल और किरण कुमार के साथ रेखा का नाम जोड़कर कुछ समय बाद लोगों ने इन किस्सों को भुला दिया.


और भी... http://aajtak.intoday.in/gallery/rekhas-life-in-pics-1-2290.html#photo1