Showing posts with label जगनमोहन रेड्डी. Show all posts
Showing posts with label जगनमोहन रेड्डी. Show all posts

Wednesday, October 9, 2013

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य के बावजूद पांचवे दिन बुधवार को भी जारी है. जगन केंद्र के अलग तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे हैं. आपको क्या लगता है कि कांग्रेस के हाथ से आंध्र निकल जाएगा?

राजनाथ सिंह से मिलीं जगन की मां, मुलाकात के मायने

नई दिल्ली:  वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल लगातार पांचवे दिन भी जारी है. इससे इनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है. जगन केंद्र के अलग तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
इसबीच जगन की मां वाईएस विजयम्मा बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलीं. इसके बाद दिल्ली में भी मामला गरमाने की संभावना जताई जा रही है. वाईएसआर कांग्रेस आंध्र-रायलसीमा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए मुश्किल बनी हुई है.

आपको बता दें कि राज्य के कोने-कोने से लोग जगन से मिलने और उन्हें अपना समर्थन देने पहुंच रहे हैं. जगनमोहन रेड्डी की मांग है कि केंद्र तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करने का फैसला वापस ले.

दिल्ली के आंध्र भवन में अपने समर्थकों के साथ तेलुगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू भी राज्य के विभाजन के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. कुल मिलाकर कहें तो आंध्र प्रदेश में हालात कांग्रेस के खिलाफ है. इस मौके को बीजेपी गंवाना नहीं चाहती है.
चंद्रबाबू पहले ही बीजेपी के साथ मंच साझा कर चुके हैं. इनका बीजेपी के पाले में आना लगभग तय है. उधर अब जगन की मां का बीजेपी अध्यक्ष से मिलना दिल्ली के सत्ता की गलियों में सरगर्मी बढ़ा दिया है.

आइए जरा आंध्र प्रदेश की चुनावी अंक गणित पर नजर दौड़ाएं. आंध्र की लोकसभा की 42 सीटों में से तेलंगाना से 17 सीटें आती हैं. रायलसीमा और तटीय आंध्र से बाकी की 25 सीटें आती हैं. जगन मोहन का रायलासीमा में अच्छा असर है और तेलंगाना का विरोध करने पर उन्हें तटीय आंध्र में भारी समर्थन मिल सकता है. कांग्रेस के लिए आंध्र बेहद जरुरी है क्योंकि 2009 में भी यहां की 42 में से 32 सीटें कांग्रेस ने ली थी. अब इतने बड़े समर्थन को कांग्रेस नहीं गंवाना चाह रही है. इसके बावजूद तेलंगाना का मुद्दा सरकार के लिए गले का फांस बन चुका है.

चंद्रबाबू को तो वैसे मुस्लिम वोट खोने का कोई डर नहीं है. लेकिन जगन के परंपरागत वोट मुस्लिम ही हैं. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि जगन बीजेपी के साथ जाने से परहेज करेंगे. लेकिन कांग्रेस के साथ बिगड़े संबंध और अलग तेलंगाना की खिलाफत ने जगन को बीजेपी के करीब ला दिया है. अब जगन यदि बीजेपी के साथ जाते हैं तो निश्चित ही बीजेपी के लिए आंध्र में बहुत बड़ी जीत होगी.