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Friday, October 11, 2013

First article on the God of Cricket published in 1986

With a young Sachin Tendulkar at an Irani restaurant

The first ever article on Sachin was published in MiD DAY: After interviewing him for the first time in 1986, then MiD DAY journalist Sunil Warrier thought Sachin Ramesh Tendulkar would emulate the dashing Sandeep Patil.

Mumbai:  The first ever article on Sachin was published in MiD DAY: After interviewing him for the first time in 1986, then MiD DAY journalist Sunil Warrier thought Sachin Ramesh Tendulkar would emulate the dashing Sandeep Patil.

Shardashram, be it the English or the Marathi medium school, has always been in the news because of the cricketing abilities it produces. It has always managed to win a major inter-school title every year. This year Shardashram (English) has been in the news. The players annexed both, the Giles as well as the Harris Shield.

In the Harris Shield, they retained the title when they beat their sister schoolmates, from Shardashram (Marathi) and in the Giles, they defeated Don Bosco, Matunga to record a grand double. And the boy who made it possible was Sachin Tendulkar.

Sachin, who is 13 years old and studies in Std VII, took up playing cricket at his brother's insistence. Ajit Tendulkar is the only other member of the family who plays cricket. He plays in the 'A' division in the local league matches. Although his father, who is a professor in Kirti College, did not know much about cricket, Sachin was always encouraged by him.

Nowadays, Sachin plays so much that he is hardly at home and does not even get time to study. But he does intend to obtain his graduation degree.

Sachin was coached by Ramakant Achrekar, the school coach, Vasu Paranjape, Das Shivalkar and also by Milind Rege.

He also used to attend camps conducted by Balwinder Singh Sandhu at the Rashtriya Chemicals & Fertilizers venue where the latter and Sandeep Patil advised him to bowl leg-spin, but eventually changed tactic as Sachin wanted to be an attacking bowler.

Sachin does not like to plod on while batting. He always prefers to attack. His only ambition is to score centuries. This season in the Harris Shield (under-17) he scored 276 against BPM High School, Khar in one day. He came in to bat when his side was tottering at 26 for 2 and went on to score a double century.

In the second round against St Xavier's, he scored 123 and also captured eight wickets for a paltry 29 runs. Although Sachin did not have a good score in the semi-final against St Mary's, he rattled up 42 and 150 runs, and captured two wickets for 48 in the first innings and two for 57 in the second against Shardashram (Marathi) in the final.

In the Giles (under-15) tourney, in the first round against Balmohan Vidyamandir, Sachin had an unbeaten knock of 159 against his name. In the next round against Barfiwala he scored another century -- 156. He also captured 4 wickets for 29 runs in the second innings. Against St Mary's in the semi-final, Sachin missed a double ton by a whisker, falling three short. He again captured five wickets conceding 75 runs in the second innings. In the final against Don Bosco, he scored two half centuries and also captured a wicket.

After all his good showing it was no wonder that he was selected for the Bombay and West Zone team for the Vijay Merchant Trophy. And in that trophy, Sachin scored another ton -- 123 against Maharashtra. Playing for West Zone he scored 74 runs and also captured a wicket against the South Zone team. He also captained the under-15 Giles Shield team and was the vice-captain for the Harris Shield team.

The square-cut and the off-drive are his favourite strokes, while Vivian Richards and Sunil Gavaskar are his favourite batsmen. Sachin does not miss an opportunity to see them in action, either on video or in the cricketing arena. He loves to play one-day cricket more than a four-day match. His natural instincts are to attack from the word go.

Sachin devotes so much time to cricket that he does not have time to take interest in any other game. But he loves to watch tennis. After the memorable Borg-McEnroe clash in 1980, Sachin let his hair grow -- Borg style.

Since then it has always been cricket and more cricket.

In the few free hours that he gets, he listens to western music. Why western music, when his father is a poet? Most of his friends are from Bombay Scottish, as he lives in Shivaji Park, and they all love western songs. He thrives on Michael Jackson's songs. Sachin is also a good singer.

Seems to be another Sandeep Patil in the making!

एयरपोर्ट पर हुआ था अंजलि को सचिन से प्यार


नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के सबसे मशहूर जोडे़ सचिन तेंदुलकर और उनकी पत्नी अंजलि की मुंबई हवाईअड्डे पर पहली बार आंखें चार हुई थी और उसके बाद तो चार साल तक उनके बीच रोमांस चला था। सचिन और अंजलि की प्रेमकहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। अंजलि हालांकि उम्र में कुछ बड़ी हैं लेकिन उनका रोमांस और फिर शादी एक खूबसूरत रूमानी कहानी का उदाहरण है। सचिन ने 1989 में अपना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन 16 साल के किशोर के रूप में शुरू किया था और 1990 में 17 वर्ष की उम्र में जब वह इंग्लैंड का पहला दौरा कर लौट रहे थे तो मुंबई हवाईअड्डे पर अंजलि ने पहली बार उन्हें देखा था और वह पहचान ही नहीं पाई थी कि यह वह दिग्गज बल्लेबाज है जिसने अपनी शुरुआत से ही दुनिया को सम्मोहित कर दिया है।
अंजलि ने एक साक्षात्कार में कहा, मैं पहली बार उनसे मुंबई हवाईअड्डे पर मिली थी जब वह इंग्लैंड के दौरे से लौट रहे थे। वास्तव में उस समय तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई थी। मैं अपनी मां को लेने हवाईअड्डे गई थी और सचिन भारतीय टीम के साथ लौटे थे। उस समय हमने पहली बार एक-दूसरे को देखा था। सचिन और उस समय पेशे से डॉक्टर अंजलि का लगभग पांच वर्ष तक रोमांस चला और उनकी 1995 में शादी हुई। इससे एक वर्ष पहले उनकी 1994 में न्यूजीलैंड में सगाई हुई थी।
अंजलि ने सचिन के साथ जब डेटिंग पर जाना शुरू किया था तब वह क्रिकेट के बारे में बिल्कुल अंजान थी और वह मानती हैं कि क्रिकेट के उनके इसी अज्ञान की वजह से सचिन उन पर फिदा हो गए थे। अंजलि ने कहा, मुझे लगता है कि सचिन को मेरे अंदर यही बात सबसे ज्यादा पसंद आई कि मैं क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। लेकिन उसके बाद मैंने क्रिकेट के बारे में सबकुछ पढ़ा। अंजलि ने बेशक उसके बाद क्रिकेट के बारे में सबकुछ जाना मगर उनका यह भी कहना है कि अनुभवी बल्लेबाज घर में क्रिकेट के बारे में कोई बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं। चाहे वह हताशा या निराशा से क्यों न गुजर रहे हों। मैं फिर भी उनसे क्रिकेट पर बातचीत करती हूं लेकिन यह खेल पर न होकर उसके साथ जुड़ी अन्य बातों पर होता है।
दरअसल जिस देश में सचिन को क्रिकेट का भगवान समझा जाता है। उनकी पत्नी होने पर वह कैसा दबाव महसूस करती हैं उन्होंने कहा, मेरे लिए अब सबकुछ बहुत आसान है क्योंकि मैं उन्हें 23 वर्षों से जानती और समझती हूं। मैं किसी तरह का कोई दबाव महसूस नहीं करती। अब मैं सब चीजों की अभ्यस्त हो गई हूं। शायद यह इसलिए भी है कि मैंने अपने जीवन में सचिन के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को नहीं जाना है।
अंजलि ने कहा, लेकिन मैं यह मानती हूं कि उनकी पत्नी होने के कारण न केवल मेरे सामने बल्कि पूरे परिवार और मेरे बच्चों के सामने भी हमेशा कई चुनौतियां रहती हैं। लेकिन हम सबने इनसे निपटना सीख लिया है। अंजलि को अपने पति को सहयोग देने के लिए अपने डॉक्टरी पेशे को छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। अंजलि ने कहा, बेशक मुझे अपने कॉलेज का समय और सरकारी अस्पताल के दिन याद हैं लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि सचिन से शादी कर मैं अपना डॉक्टरी जीवन आगे नहीं बढ़ा सकती। यह संभव नहीं था क्योंकि वह लगभग हर बात के लिए मुझपर निर्भर थे। यह सिर्फ और सिर्फ मेरा फैसला था। मैंने सोचा था कि मैं उनके साथ घर पर रहूं और उनके लिए सबकुछ ठीक-ठाक रखूं।
उन्होंने कहा, सचिन के बचपन में उनके भाई अजीत उनकी हर बात का ख्याल रखते थे और बाद में मैंने भी सोचा कि मुझे भी वही करना है। डॉक्टरी के पेशे में दोनों चीजों के साथ संतुलन बिठाना संभव नहीं हो पाता। अंजलि को यह भी याद है कि सचिन की प्रसिद्धि हमेशा उनके सामान्य व्यक्ति की तरह समय गुजारने के आडे़ आई।
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए बताया, जब मैं पढ़ रही थी तब मैं, सचिन और कुछ दोस्त 'रोजा' फिल्म देखने गए थे। सचिन को कोई पहचान न सके इसलिए उन्होंने दाढ़ी लगाई और चश्मा भी पहना। हमने फिल्म का पहला हाफ देख लिया था लेकिन इंटरवल में सचिन अपना चश्मा गिरा बैठे और लोगों ने उन्हें तत्काल पहचान लिया। उस समय हमारे लिए शर्मिंदगी जैसी स्थिति बन गई और हम तुरंत वहां से खिसक लिए।

एयरपोर्ट पर हुआ था अंजलि को सचिन से प्यार


नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के सबसे मशहूर जोडे़ सचिन तेंदुलकर और उनकी पत्नी अंजलि की मुंबई हवाईअड्डे पर पहली बार आंखें चार हुई थी और उसके बाद तो चार साल तक उनके बीच रोमांस चला था। सचिन और अंजलि की प्रेमकहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। अंजलि हालांकि उम्र में कुछ बड़ी हैं लेकिन उनका रोमांस और फिर शादी एक खूबसूरत रूमानी कहानी का उदाहरण है। सचिन ने 1989 में अपना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन 16 साल के किशोर के रूप में शुरू किया था और 1990 में 17 वर्ष की उम्र में जब वह इंग्लैंड का पहला दौरा कर लौट रहे थे तो मुंबई हवाईअड्डे पर अंजलि ने पहली बार उन्हें देखा था और वह पहचान ही नहीं पाई थी कि यह वह दिग्गज बल्लेबाज है जिसने अपनी शुरुआत से ही दुनिया को सम्मोहित कर दिया है।
अंजलि ने एक साक्षात्कार में कहा, मैं पहली बार उनसे मुंबई हवाईअड्डे पर मिली थी जब वह इंग्लैंड के दौरे से लौट रहे थे। वास्तव में उस समय तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई थी। मैं अपनी मां को लेने हवाईअड्डे गई थी और सचिन भारतीय टीम के साथ लौटे थे। उस समय हमने पहली बार एक-दूसरे को देखा था। सचिन और उस समय पेशे से डॉक्टर अंजलि का लगभग पांच वर्ष तक रोमांस चला और उनकी 1995 में शादी हुई। इससे एक वर्ष पहले उनकी 1994 में न्यूजीलैंड में सगाई हुई थी।
अंजलि ने सचिन के साथ जब डेटिंग पर जाना शुरू किया था तब वह क्रिकेट के बारे में बिल्कुल अंजान थी और वह मानती हैं कि क्रिकेट के उनके इसी अज्ञान की वजह से सचिन उन पर फिदा हो गए थे। अंजलि ने कहा, मुझे लगता है कि सचिन को मेरे अंदर यही बात सबसे ज्यादा पसंद आई कि मैं क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। लेकिन उसके बाद मैंने क्रिकेट के बारे में सबकुछ पढ़ा। अंजलि ने बेशक उसके बाद क्रिकेट के बारे में सबकुछ जाना मगर उनका यह भी कहना है कि अनुभवी बल्लेबाज घर में क्रिकेट के बारे में कोई बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं। चाहे वह हताशा या निराशा से क्यों न गुजर रहे हों। मैं फिर भी उनसे क्रिकेट पर बातचीत करती हूं लेकिन यह खेल पर न होकर उसके साथ जुड़ी अन्य बातों पर होता है।
दरअसल जिस देश में सचिन को क्रिकेट का भगवान समझा जाता है। उनकी पत्नी होने पर वह कैसा दबाव महसूस करती हैं उन्होंने कहा, मेरे लिए अब सबकुछ बहुत आसान है क्योंकि मैं उन्हें 23 वर्षों से जानती और समझती हूं। मैं किसी तरह का कोई दबाव महसूस नहीं करती। अब मैं सब चीजों की अभ्यस्त हो गई हूं। शायद यह इसलिए भी है कि मैंने अपने जीवन में सचिन के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को नहीं जाना है।
अंजलि ने कहा, लेकिन मैं यह मानती हूं कि उनकी पत्नी होने के कारण न केवल मेरे सामने बल्कि पूरे परिवार और मेरे बच्चों के सामने भी हमेशा कई चुनौतियां रहती हैं। लेकिन हम सबने इनसे निपटना सीख लिया है। अंजलि को अपने पति को सहयोग देने के लिए अपने डॉक्टरी पेशे को छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। अंजलि ने कहा, बेशक मुझे अपने कॉलेज का समय और सरकारी अस्पताल के दिन याद हैं लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि सचिन से शादी कर मैं अपना डॉक्टरी जीवन आगे नहीं बढ़ा सकती। यह संभव नहीं था क्योंकि वह लगभग हर बात के लिए मुझपर निर्भर थे। यह सिर्फ और सिर्फ मेरा फैसला था। मैंने सोचा था कि मैं उनके साथ घर पर रहूं और उनके लिए सबकुछ ठीक-ठाक रखूं।
उन्होंने कहा, सचिन के बचपन में उनके भाई अजीत उनकी हर बात का ख्याल रखते थे और बाद में मैंने भी सोचा कि मुझे भी वही करना है। डॉक्टरी के पेशे में दोनों चीजों के साथ संतुलन बिठाना संभव नहीं हो पाता। अंजलि को यह भी याद है कि सचिन की प्रसिद्धि हमेशा उनके सामान्य व्यक्ति की तरह समय गुजारने के आडे़ आई।
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए बताया, जब मैं पढ़ रही थी तब मैं, सचिन और कुछ दोस्त 'रोजा' फिल्म देखने गए थे। सचिन को कोई पहचान न सके इसलिए उन्होंने दाढ़ी लगाई और चश्मा भी पहना। हमने फिल्म का पहला हाफ देख लिया था लेकिन इंटरवल में सचिन अपना चश्मा गिरा बैठे और लोगों ने उन्हें तत्काल पहचान लिया। उस समय हमारे लिए शर्मिंदगी जैसी स्थिति बन गई और हम तुरंत वहां से खिसक लिए।

एयरपोर्ट पर हुआ था अंजलि को सचिन से प्यार


नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के सबसे मशहूर जोडे़ सचिन तेंदुलकर और उनकी पत्नी अंजलि की मुंबई हवाईअड्डे पर पहली बार आंखें चार हुई थी और उसके बाद तो चार साल तक उनके बीच रोमांस चला था। सचिन और अंजलि की प्रेमकहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। अंजलि हालांकि उम्र में कुछ बड़ी हैं लेकिन उनका रोमांस और फिर शादी एक खूबसूरत रूमानी कहानी का उदाहरण है। सचिन ने 1989 में अपना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन 16 साल के किशोर के रूप में शुरू किया था और 1990 में 17 वर्ष की उम्र में जब वह इंग्लैंड का पहला दौरा कर लौट रहे थे तो मुंबई हवाईअड्डे पर अंजलि ने पहली बार उन्हें देखा था और वह पहचान ही नहीं पाई थी कि यह वह दिग्गज बल्लेबाज है जिसने अपनी शुरुआत से ही दुनिया को सम्मोहित कर दिया है।
अंजलि ने एक साक्षात्कार में कहा, मैं पहली बार उनसे मुंबई हवाईअड्डे पर मिली थी जब वह इंग्लैंड के दौरे से लौट रहे थे। वास्तव में उस समय तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई थी। मैं अपनी मां को लेने हवाईअड्डे गई थी और सचिन भारतीय टीम के साथ लौटे थे। उस समय हमने पहली बार एक-दूसरे को देखा था। सचिन और उस समय पेशे से डॉक्टर अंजलि का लगभग पांच वर्ष तक रोमांस चला और उनकी 1995 में शादी हुई। इससे एक वर्ष पहले उनकी 1994 में न्यूजीलैंड में सगाई हुई थी।
अंजलि ने सचिन के साथ जब डेटिंग पर जाना शुरू किया था तब वह क्रिकेट के बारे में बिल्कुल अंजान थी और वह मानती हैं कि क्रिकेट के उनके इसी अज्ञान की वजह से सचिन उन पर फिदा हो गए थे। अंजलि ने कहा, मुझे लगता है कि सचिन को मेरे अंदर यही बात सबसे ज्यादा पसंद आई कि मैं क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। लेकिन उसके बाद मैंने क्रिकेट के बारे में सबकुछ पढ़ा। अंजलि ने बेशक उसके बाद क्रिकेट के बारे में सबकुछ जाना मगर उनका यह भी कहना है कि अनुभवी बल्लेबाज घर में क्रिकेट के बारे में कोई बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं। चाहे वह हताशा या निराशा से क्यों न गुजर रहे हों। मैं फिर भी उनसे क्रिकेट पर बातचीत करती हूं लेकिन यह खेल पर न होकर उसके साथ जुड़ी अन्य बातों पर होता है।
दरअसल जिस देश में सचिन को क्रिकेट का भगवान समझा जाता है। उनकी पत्नी होने पर वह कैसा दबाव महसूस करती हैं उन्होंने कहा, मेरे लिए अब सबकुछ बहुत आसान है क्योंकि मैं उन्हें 23 वर्षों से जानती और समझती हूं। मैं किसी तरह का कोई दबाव महसूस नहीं करती। अब मैं सब चीजों की अभ्यस्त हो गई हूं। शायद यह इसलिए भी है कि मैंने अपने जीवन में सचिन के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को नहीं जाना है।
अंजलि ने कहा, लेकिन मैं यह मानती हूं कि उनकी पत्नी होने के कारण न केवल मेरे सामने बल्कि पूरे परिवार और मेरे बच्चों के सामने भी हमेशा कई चुनौतियां रहती हैं। लेकिन हम सबने इनसे निपटना सीख लिया है। अंजलि को अपने पति को सहयोग देने के लिए अपने डॉक्टरी पेशे को छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। अंजलि ने कहा, बेशक मुझे अपने कॉलेज का समय और सरकारी अस्पताल के दिन याद हैं लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि सचिन से शादी कर मैं अपना डॉक्टरी जीवन आगे नहीं बढ़ा सकती। यह संभव नहीं था क्योंकि वह लगभग हर बात के लिए मुझपर निर्भर थे। यह सिर्फ और सिर्फ मेरा फैसला था। मैंने सोचा था कि मैं उनके साथ घर पर रहूं और उनके लिए सबकुछ ठीक-ठाक रखूं।
उन्होंने कहा, सचिन के बचपन में उनके भाई अजीत उनकी हर बात का ख्याल रखते थे और बाद में मैंने भी सोचा कि मुझे भी वही करना है। डॉक्टरी के पेशे में दोनों चीजों के साथ संतुलन बिठाना संभव नहीं हो पाता। अंजलि को यह भी याद है कि सचिन की प्रसिद्धि हमेशा उनके सामान्य व्यक्ति की तरह समय गुजारने के आडे़ आई।
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए बताया, जब मैं पढ़ रही थी तब मैं, सचिन और कुछ दोस्त 'रोजा' फिल्म देखने गए थे। सचिन को कोई पहचान न सके इसलिए उन्होंने दाढ़ी लगाई और चश्मा भी पहना। हमने फिल्म का पहला हाफ देख लिया था लेकिन इंटरवल में सचिन अपना चश्मा गिरा बैठे और लोगों ने उन्हें तत्काल पहचान लिया। उस समय हमारे लिए शर्मिंदगी जैसी स्थिति बन गई और हम तुरंत वहां से खिसक लिए।

एयरपोर्ट पर हुआ था अंजलि को सचिन से प्यार


नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के सबसे मशहूर जोडे़ सचिन तेंदुलकर और उनकी पत्नी अंजलि की मुंबई हवाईअड्डे पर पहली बार आंखें चार हुई थी और उसके बाद तो चार साल तक उनके बीच रोमांस चला था। सचिन और अंजलि की प्रेमकहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। अंजलि हालांकि उम्र में कुछ बड़ी हैं लेकिन उनका रोमांस और फिर शादी एक खूबसूरत रूमानी कहानी का उदाहरण है। सचिन ने 1989 में अपना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीवन 16 साल के किशोर के रूप में शुरू किया था और 1990 में 17 वर्ष की उम्र में जब वह इंग्लैंड का पहला दौरा कर लौट रहे थे तो मुंबई हवाईअड्डे पर अंजलि ने पहली बार उन्हें देखा था और वह पहचान ही नहीं पाई थी कि यह वह दिग्गज बल्लेबाज है जिसने अपनी शुरुआत से ही दुनिया को सम्मोहित कर दिया है।
अंजलि ने एक साक्षात्कार में कहा, मैं पहली बार उनसे मुंबई हवाईअड्डे पर मिली थी जब वह इंग्लैंड के दौरे से लौट रहे थे। वास्तव में उस समय तो उन्हें पहचान ही नहीं पाई थी। मैं अपनी मां को लेने हवाईअड्डे गई थी और सचिन भारतीय टीम के साथ लौटे थे। उस समय हमने पहली बार एक-दूसरे को देखा था। सचिन और उस समय पेशे से डॉक्टर अंजलि का लगभग पांच वर्ष तक रोमांस चला और उनकी 1995 में शादी हुई। इससे एक वर्ष पहले उनकी 1994 में न्यूजीलैंड में सगाई हुई थी।
अंजलि ने सचिन के साथ जब डेटिंग पर जाना शुरू किया था तब वह क्रिकेट के बारे में बिल्कुल अंजान थी और वह मानती हैं कि क्रिकेट के उनके इसी अज्ञान की वजह से सचिन उन पर फिदा हो गए थे। अंजलि ने कहा, मुझे लगता है कि सचिन को मेरे अंदर यही बात सबसे ज्यादा पसंद आई कि मैं क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। लेकिन उसके बाद मैंने क्रिकेट के बारे में सबकुछ पढ़ा। अंजलि ने बेशक उसके बाद क्रिकेट के बारे में सबकुछ जाना मगर उनका यह भी कहना है कि अनुभवी बल्लेबाज घर में क्रिकेट के बारे में कोई बातचीत करना पसंद नहीं करते हैं। चाहे वह हताशा या निराशा से क्यों न गुजर रहे हों। मैं फिर भी उनसे क्रिकेट पर बातचीत करती हूं लेकिन यह खेल पर न होकर उसके साथ जुड़ी अन्य बातों पर होता है।
दरअसल जिस देश में सचिन को क्रिकेट का भगवान समझा जाता है। उनकी पत्नी होने पर वह कैसा दबाव महसूस करती हैं उन्होंने कहा, मेरे लिए अब सबकुछ बहुत आसान है क्योंकि मैं उन्हें 23 वर्षों से जानती और समझती हूं। मैं किसी तरह का कोई दबाव महसूस नहीं करती। अब मैं सब चीजों की अभ्यस्त हो गई हूं। शायद यह इसलिए भी है कि मैंने अपने जीवन में सचिन के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को नहीं जाना है।
अंजलि ने कहा, लेकिन मैं यह मानती हूं कि उनकी पत्नी होने के कारण न केवल मेरे सामने बल्कि पूरे परिवार और मेरे बच्चों के सामने भी हमेशा कई चुनौतियां रहती हैं। लेकिन हम सबने इनसे निपटना सीख लिया है। अंजलि को अपने पति को सहयोग देने के लिए अपने डॉक्टरी पेशे को छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। अंजलि ने कहा, बेशक मुझे अपने कॉलेज का समय और सरकारी अस्पताल के दिन याद हैं लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि सचिन से शादी कर मैं अपना डॉक्टरी जीवन आगे नहीं बढ़ा सकती। यह संभव नहीं था क्योंकि वह लगभग हर बात के लिए मुझपर निर्भर थे। यह सिर्फ और सिर्फ मेरा फैसला था। मैंने सोचा था कि मैं उनके साथ घर पर रहूं और उनके लिए सबकुछ ठीक-ठाक रखूं।
उन्होंने कहा, सचिन के बचपन में उनके भाई अजीत उनकी हर बात का ख्याल रखते थे और बाद में मैंने भी सोचा कि मुझे भी वही करना है। डॉक्टरी के पेशे में दोनों चीजों के साथ संतुलन बिठाना संभव नहीं हो पाता। अंजलि को यह भी याद है कि सचिन की प्रसिद्धि हमेशा उनके सामान्य व्यक्ति की तरह समय गुजारने के आडे़ आई।
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए बताया, जब मैं पढ़ रही थी तब मैं, सचिन और कुछ दोस्त 'रोजा' फिल्म देखने गए थे। सचिन को कोई पहचान न सके इसलिए उन्होंने दाढ़ी लगाई और चश्मा भी पहना। हमने फिल्म का पहला हाफ देख लिया था लेकिन इंटरवल में सचिन अपना चश्मा गिरा बैठे और लोगों ने उन्हें तत्काल पहचान लिया। उस समय हमारे लिए शर्मिंदगी जैसी स्थिति बन गई और हम तुरंत वहां से खिसक लिए।

सुनिए सचिन तेंदुलकर का वर्ष 1990 का इंटरव्यू


 सचिन तेंदुलकर का 1990 में दिया हुआ इंटरव्यू, जिसमें वह कह रहे हैं कि वह भविष्‍य नहीं बता सकते. वहीं अन्‍य महान खिलाड़ी भी उनके खेल को देखकर दंग रह जाते हैं.

Thursday, October 10, 2013

Since 11, cricket has been my life: Sachin Tendulkar's letter to BCCI

Sachin Tendulkar has announced his retirement after he plays his 200th test. Here is  a statement from the Board of Control for Cricket in India.

MEDIA RELEASE

Sachin Tendulkar has contacted the President, BCCI, and has requested the BCCI to release the following statement to the Media, on his behalf:


"All my life, I have had a dream of playing cricket for India. I have been living this dream every day for the last 24 years. It's hard for me to imagine a life without playing cricket because it's all I have ever done since I was 11 years old. It's been a huge honour to have represented my country and played all over the world. I look forward to playing my 200th Test Match on home soil, as I call it a day.

I thank the BCCI for everything over the years and for permitting me to move on when my heart feels it's time! I thank my family for their patience and understanding. Most of all, I thank my fans and well-wishers who through their prayers and wishes have given me the strength to go out and perform at my best."

Sachin Tendulkar

Sanjay Patel
Hony. Secretary
BCCI

Wednesday, October 2, 2013

Sachin Tendulkar roots for MS Dhoni and Co. to win 2015 World Cup

With exactly 500 days to go for the ICC Cricket World Cup 2015, Master Blaster Sachin Tendulkar hopes that the trophy remains in the sub-continent. His heart, of course, wants India to win back-to-back titles.

Tendulkar, who along with Pakistan's Javed Miandad is the only player in the history of the game to play in six World Cups, hoped that if Mahendra Singh Dhoni's side successfully defended the title, then it will once again provide tremendous joy to the nation while making it only the third country after West Indies and Australia to win successive titles.

"Along with India, Pakistan and Sri Lanka are also good sides," said Tendulkar, adding: "I am partial towards India and want them to do well. That would be really exciting. It will give so much happiness to the entire nation.

"That is something I would want, along with a billion plus people who will also be expecting the same thing to happen."

The Indian legend retired from ODI cricket in December 2012 as the leading run-getter in the format with 18,426 runs. Tendulkar's 482 runs from nine matches in the 2011 edition in the sub-continent too went a long way in winning the World Cup.

Tendulkar, who is also the highest run-getter in the history of ICC Cricket World Cup with 2,278 runs from 45 matches (1,195 runs more than Miandad), hoped India players will quickly adjust to the conditions in Australia and New Zealand.

"Well I think most of our guys have been to Australia. They know what to expect, they have played there already," said Tendulkar, who was part of the squad during the disastrous tour of Australia in 2011-12.

In the lead up to the ICC Cricket World Cup 2015 in 2014-15, India will again be in Australia for a four-Test series. This will be followed by a tri-series featuring England, apart from the hosts.

More than Australia, Tendulkar's worry was about adjusting to New Zealand conditions.

Recalling India's ICC Cricket World Cup 1992 match against New Zealand, Tendulkar said: "I remember our match in Dunedin, where it was extremely cold and windy. Whenever a batsman hit the ball with the wind, it would travel 10 yards further, but when we had to play against the wind, the ball travelled 10 yards less!

"As there is a tour to New Zealand planned in early 2014, it should give them good exposure to the conditions there."

India, which lead ODI Team Rankings table by a distance, has been drawn in Pool B and will open its campaign against Pakistan in Adelaide on 15 February. India's other matches in the first round are against South Africa (in Melbourne on 22 February), Qualifier 4 (in Perth on 28 February), West Indies (in Perth on 6 March) and Ireland (in Hamilton on 10 March) and Zimbabwe (in Auckland on 14 March).