एक तरफ उत्तराखंड आपदा के बाद आपदा पीड़ितों को दी गई राहत के चेक बाउंस
हो रहे हैं वहीँ, उत्तराखंड सरकार के मुखिया विजय बहुगुणा ने मीडिया
मैनेजमेंट के तहत विभिन्न योजनाओं में बाईस करोड़ सत्ततर लाख रुपये के
विज्ञापन बाँट दिए गए और इसमें से दो करोड़ से ज्यादा विज्ञापन राशि सिर्फ
मुकेश अम्बानी के मालिकाना हक़ वाले ETV को दे दी गयी.
गौरतलब
है कि आपदा के बाद मीडिया पर उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा
की अच्छी खासी किरकिरी हो रही थी, जिसे देखते हुए विजय बहुगुणा ने मीडिया
द्वारा पिटी जा रही भद्द रोकने के लिए मीडिया को बेहिसाब विज्ञापन बांटने
शुरू कर दिए और इन्हीं विज्ञापनों का नतीजा था कि उत्तराखंड आपदा पर मुखर
होकर बोल रहा मीडिया अचानक चुप हो गया.
एक आरटीआई एक्टिविस्ट गुरविंद्र सिंह चढ्ढा द्वारा मांगी गई सूचना पर
उत्तराखंड सरकार ने जो सूचनाएं उपलब्ध करवाई है उसने सभी को चौंकाने के साथ
साथ मीडिया घरानों की पोल भी खोल दी है.
उत्तराखंड सरकार द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार आपदा के बाद सिर्फ एक मद
से इटीवी को एक करोड़ अठहतर लाख तेंतीस हज़ार छह सौ पचास, सहारा समय को
चालीस लाख बयासी हज़ार आठ सौ पचास, ज़ी न्यूज़ यूपी/उत्तराखंड को छतीस लाख
बयासी हज़ार पचास, टीवी 100 को उन्यासी लाख बतीस हज़ार आठ सौ पचास, साधना
न्यूज़ को इकसठ लाख बयासी हज़ार आठ सौ पचास, चढ़दीकला टाइम टीवी को उनचालीस
लाख बयासी हज़ार पचास, इंडिया न्यूज़ यूपी/उत्तराखंड को सरसठ लाख चोबीस हज़ार
चार सौ पचास, जैन टीवी को सरसठ लाख बयासी हज़ार पचास, वॉईस ऑफ़ नेशन को इकसठ
लाख बयासी हज़ार, बुलंद न्यूज़ समाचार प्लस को चौवन लाख बयासी हज़ार आठ सौ
पचास, इटीवी उर्दू को पच्चीस लाख अठाईस हज़ार आठ सौ पचास, श्री
न्यूज़ छह लाख इकानवे हज़ार दो सौ, सी न्यूज़ आठ लाख अठयानबे हज़ार दो सौ,
एटूज़ेड को ग्यारह लाख पिच्यासी हज़ार छह सौ, दूरदर्शन को उन्नीस लाख बाईस
हज़ार चार सौ, आजतक को इक्कीस लाख अठयासी हज़ार आठ सौ बयालीस, आईबीएन सेवन को
चौदह लाख बयालीस हज़ार नौ सौ आठ, एबीपी न्यूज़ को तेईस लाख अड़तीस हज़ार आठ सौ
चौरानबे, एनडीटीवी को बारह लाख तेरानबे हज़ार दो सौ दस, इंडिया टीवी को
तेयालिस लाख तिरानबे हज़ार सात सौ चौरानबे, न्यूज़ 24 को ग्यारह लाख बावन
हज़ार सात सौ बीस, ज़ी न्यूज़ दिल्ली को चौदह लाख इकतालीस हज़ार नौ सौ सरसठ,
समय सहारा नेशनल को आठ लाख छियानबे हज़ार सात सौ नब्बे, इंडिया न्यूज़ दिल्ली
को बाईस लाख छियालीस हज़ार सात सौ चौरासी, रेडियो मिर्ची जिंगल को एक करोड़
सत्ताईस लाख उनतालीस हज़ार एक सौ बाईस रुपये का विज्ञापन दिया गया.
इसके
अलावा केदारनाथ पूजा शुरू होने पर भी इन चैनलों को अलग से विज्ञापन ज़ारी
किये गए. सभी मदों को मिला कर कुल तेरह करोड़ उनचास लाख पिचयासी हज़ार चार से
अठ्ठासी रुपये इलेक्ट्रोनिक मीडिया को बांटे गए. विज्ञापनों की इस बंदर
बाँट में इलेक्ट्रोनिक मीडिया ही नहीं बल्कि प्रिंट मीडिया को भी दिल खोल
कर उपकृत किया गया और नौ करोड़ सताईस लाख सतावन हज़ार बाईस रुपये प्रिंट
मीडिया को दिए गए.यहाँ सवाल यह उठता है कि विज्ञापनों के ज़रिये विजय बहुगुणा आखिर किसे राहत पहुंचा रहे थे. क्या इसे आपदा राहत राशि का दुरुपयोग नहीं माना जाये?
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