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Thursday, October 10, 2013

अपने खेल के दम पर SachinTendulkar ने भले ही करोड़ों रुपये कमा लिए हों, लेकिन उनके लिए आज भी सबसे बड़ा गिफ्ट है 13 सिक्के. आखिर क्या खास है इन 13 सिक्कों में, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

सिक्कों के रूप में मिला था सचिन तेंदुलकर को सबसे बड़ा 'गिफ्ट'

सचिन तेंदुलकर की बचपन की तस्वीर

क्रिकेट जगत में बल्लेबाजी का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड होगा, जो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने न तोड़ा हो. सचिन को रिकॉर्ड तोड़ने का चस्का बचपन से ही. इस रिकॉर्ड को तोड़ने में सचिन का साथ दिया था पूर्व क्रिकेटर और उनके दोस्त विनोद कांबली ने.
कांबली के साथ स्कूल में बनाया था साझेदारी का रिकॉर्ड
आज से करीब 25 साल पहले 1988-89 में शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल के दो खिलाड़ियों ने हैरी शील्ड गेम में सेंट जेवियर स्कूल के खिलाफ 664 रनों की पार्टनरशिप का वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया था. इतने रनों की पार्टनरशिप किसी भी तरह के क्रिकेट में इससे पहले नहीं बनाई गई थी. 664 रनों की यह पार्टनरशिप हुई थी सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के बीच. इस पार्टनरशिप में सचिन ने नॉटआउट 326 रन बनाए थे और पहली बार सुर्खियों में आए. यहां से तेंदुलकर ने अपने सुनहरे करियर का आगाज किया था. उस समय तेंदुलकर महज 14 साल के थे.
रणजी ट्रॉफी में खेलने का मिला था मौका
इसके एक साल बाद ही लिटिल मास्टर को घरेलू क्रिकेट की सबसे अहम ट्रॉफी यानी कि रणजी ट्रॉफी में पहला मैच खेलने का मौका मिला, इस मौके को भुनाते हुए सचिन पहले भारतीय क्रिकेटर बने जिसने अपने पहले ही मैच में सेंचुरी के साथ आगाज किया. इसके बाद एक के बाद एक रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में सचिन ने सेंचुरी ठोंकी.
सचिन को गावस्कर ने दिया था अनमोल तोहफा
कहते हैं कि हीरे की परख जौहरी को ही होती है इसी का सबसे बड़ा उदाहरण है कि जब मास्टर ब्लास्टर महज 14 साल के थे और स्कूल लेवल पर क्रिकेट खेलते थे तो गावसकर इस छोटे से लड़के के खेल से प्रभावित होकर उसको अपने खुद के अल्ट्रा लाइट पैड गिफ्ट कर दिए थे. गावस्कर ने इस छोटे खिलाड़ी की बड़ी प्रतिभा को उसी दिन भांप लिया था.
आचरेकर से मिला 13 सिक्कों का सबसे बड़ा गिफ्ट
जब सचिन स्कूल में प्रैक्टिस करते थे तो उनके कोच आचरेकर एक रुपये का सिक्का विकेट पर रख देते थे और सभी गेंदबाजों से बोलते थे कि अगर उन्होंने सचिन का विकेट लिया तो वह सिक्का उनका हो जाएगा, लेकिन अगर सचिन का विकेट पूरे सेशन में कोई नहीं ले पाता था, तो वह सिक्का तेंदुलकर के नाम हो जाता था. सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट मानते हैं. सचिन कभी भी अंडर-19 टीम का हिस्सा नहीं रहे और सीधे सीनियर खिलाड़ियों में शामिल हो गए.

 

युवा न बनाएं SachinTendulkar को अपना आदर्श, ऐसा कहना है दादा यानि कि सौरव गांगुली का. आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं गांगुली. पढ़ें पूरी खबर

सचिन को आदर्श न बनाएं युवाः सौरव गांगुली

सचिन और सौरव गांगुली ने मिलकर काफी क्रिकेट साथ खेली है. इन दोनों खिलाड़ियों भारत की बल्लेबाजी को एक नया आयाम दिया था. वनडे क्रिकेट में सचिन के साथ सलामी बल्लेबाजी कर चुके गांगुली ने सचिन के संन्यास पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि युवाओं को सचिन जैसा बनने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.
गांगुली ने कहा, 'सचिन के साथ बहुत खेल चुका हूं. सचिन तेंदुलकर के बारे में आप बोलते जाएंगे तो पूरा दिन निकल जाएगा. मैं सभी युवा खिलाड़ियों से एक ही बात कहना चाहता हूं कि बहुत लोग ऐसे हैं जो टैलेंट लेकर पैदा हुए, सचिन उन सब से इसलिए अलग हैं, क्योंकि उन्होंने इस टैलेंट को इतनी महानता दी. जो क्रिकेट खेलना चाहते हैं वो सचिन का टैलेंट न देखें, क्योंकि वो टैलेंट हर किसी में नहीं हो सकता. क्रिकेट के लिए जो साधना उन्होंने की लोग उसे देखें.'
दादा के मुताबिक, 'सचिन मेरी नजर में सबसे बड़े खिलाड़ी हैं. उनको बहुत पास से देखा है मैंने तो मैं समझ सकता हूं कि मैं ऐसा क्यों बोल रहा हूं. मेरे दिल या दिमाग में कोई संदेह नहीं है इस बात को लेकर कि सचिन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं.'
गांगुली ने आगे कहा, 'सचिन ने संन्यास का फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया. मुझे उम्मीद है कि सचिन अपना 200वां टेस्ट अपने होम ग्राउंड पर खेलें.'