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Friday, October 11, 2013

युवराज सिंह बेहद भावुक हैं. उन्‍हानें कहा है कि सचिन के पैर पकड़े लेंगे और उन्‍हें जाने नहीं देंगे. पढ़ें यह खबर

सचिन के पांव पकड़ लूंगा और उन्हें जाने नहीं दूंगा, बोले युवराज

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 77 रन की मैच जिताऊ पारी खेलने के बाद युवराज सिंह पूरी तरह से खुश नहीं है, इसकी वजह से टेस्ट क्रिकेट से सचिन का संन्यास. उन्होंने यह तय कर लिया है कि वे सचिन को जाने ही नहीं देंगे. सचिन का पांव पकड़ लेंगे ताकि वो ड्रेसिंग रूम से बाहर न निकल सकें.
भावुक युवराज ने अपनी इस पारी को सचिन को समर्पित किया. आपको बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की. वे अपना 200वां टेस्ट मैच खेलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को पूरी तरह से अलविदा कह देंगे.
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में युवराज सिंह ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि खुश हूं या दुखी. मेरे बल्ले से रन निकले इसलिए खुश हूं, पर सचिन रिटायर हो रहे हैं इसलिए निराश भी. मुझे इस बात की खुशी है कि वेस्टइंडीज ए के खिलाफ शुरू हुआ शानदार प्रदर्शन अब भी जारी है.'
युवराज सिंह ने कहा, 'मैं अपनी इस पारी को सचिन तेंदुलकर को समर्पित करता हूं, उम्मीद करता हूं कि अपनी बात सचिन से फोन पर भी कह सकूंगा. इतना तो मै कर ही सकता हूं. मैं अपनी मां को भी यह पारी जरूर समर्पित करूंगा. उन्होंने मेरी वापसी के लिए बहुत मिन्नतें मांगी है.'
आपको बता दें कि 31 वर्षीय युवराज सिंह ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच जनवरी में खेला था. लेकिन इंडिया ए और इंडिया ब्लू की ओर से शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्होंने एक बार फिर टीम इंडिया में जोरदार वापसी की.

मीडिया से मुखातिब होने बाद युवराज ने कहा, 'युवी एक बार फिर वापस आ गया. दोस्तों.'
युवराज सिंह ने कहा कि जब सचिन जैसे महान खिलाड़ी संन्यास लेते हैं तो यह देश के लिए भावुक क्षण होता है और वे नहीं चाहते कि सचिन क्रिकेट को अलविदा कहें.
बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि मैं उन्हें जाने दूंगा. मैं उनके पांव पकड़ लूंगा, ड्रेसिंग रूम से बाहर नहीं जाने दूंगा. उनके साथ खेलना एक अद्भुत अनुभव रहा है. वे क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं. मैं ये नहीं समझ पा रहा कि क्या कहूं.'
युवराज सिंह ने कहा, 'सचिन के बारे में कहने के लिए इतना कुछ है, शायद वे भारत के सबसे महान क्रिकेटर है. इस क्रिकेटर के लिए रिकॉर्ड ही सबकुछ नहीं है, वे एक बेहतरीन इंसान हैं. क्रिकेट के वर्ल्ड एंबेसेडर. उनका संन्यास पूरे देश के लिए एक भावुक क्षण होगा.'
युवराज सिंह ने बताया कि वे सचिन का आखिरी मैच जरूर देखेंगे. उन्होंने कहा, 'सचिन हमेशा मेरे लिए बहुत स्पेशल रहेंगे. भरोसा है कि मुझे उनके साथ खेलने का मौका मिलेगा और अगर मैं टीम में नहीं भी रहा तो स्टेडियम में जाकर उनका आखिरी मैच जरूर देखूंगा.'

Thursday, October 10, 2013

अपने खेल के दम पर SachinTendulkar ने भले ही करोड़ों रुपये कमा लिए हों, लेकिन उनके लिए आज भी सबसे बड़ा गिफ्ट है 13 सिक्के. आखिर क्या खास है इन 13 सिक्कों में, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

सिक्कों के रूप में मिला था सचिन तेंदुलकर को सबसे बड़ा 'गिफ्ट'

सचिन तेंदुलकर की बचपन की तस्वीर

क्रिकेट जगत में बल्लेबाजी का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड होगा, जो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने न तोड़ा हो. सचिन को रिकॉर्ड तोड़ने का चस्का बचपन से ही. इस रिकॉर्ड को तोड़ने में सचिन का साथ दिया था पूर्व क्रिकेटर और उनके दोस्त विनोद कांबली ने.
कांबली के साथ स्कूल में बनाया था साझेदारी का रिकॉर्ड
आज से करीब 25 साल पहले 1988-89 में शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल के दो खिलाड़ियों ने हैरी शील्ड गेम में सेंट जेवियर स्कूल के खिलाफ 664 रनों की पार्टनरशिप का वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाया था. इतने रनों की पार्टनरशिप किसी भी तरह के क्रिकेट में इससे पहले नहीं बनाई गई थी. 664 रनों की यह पार्टनरशिप हुई थी सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के बीच. इस पार्टनरशिप में सचिन ने नॉटआउट 326 रन बनाए थे और पहली बार सुर्खियों में आए. यहां से तेंदुलकर ने अपने सुनहरे करियर का आगाज किया था. उस समय तेंदुलकर महज 14 साल के थे.
रणजी ट्रॉफी में खेलने का मिला था मौका
इसके एक साल बाद ही लिटिल मास्टर को घरेलू क्रिकेट की सबसे अहम ट्रॉफी यानी कि रणजी ट्रॉफी में पहला मैच खेलने का मौका मिला, इस मौके को भुनाते हुए सचिन पहले भारतीय क्रिकेटर बने जिसने अपने पहले ही मैच में सेंचुरी के साथ आगाज किया. इसके बाद एक के बाद एक रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में सचिन ने सेंचुरी ठोंकी.
सचिन को गावस्कर ने दिया था अनमोल तोहफा
कहते हैं कि हीरे की परख जौहरी को ही होती है इसी का सबसे बड़ा उदाहरण है कि जब मास्टर ब्लास्टर महज 14 साल के थे और स्कूल लेवल पर क्रिकेट खेलते थे तो गावसकर इस छोटे से लड़के के खेल से प्रभावित होकर उसको अपने खुद के अल्ट्रा लाइट पैड गिफ्ट कर दिए थे. गावस्कर ने इस छोटे खिलाड़ी की बड़ी प्रतिभा को उसी दिन भांप लिया था.
आचरेकर से मिला 13 सिक्कों का सबसे बड़ा गिफ्ट
जब सचिन स्कूल में प्रैक्टिस करते थे तो उनके कोच आचरेकर एक रुपये का सिक्का विकेट पर रख देते थे और सभी गेंदबाजों से बोलते थे कि अगर उन्होंने सचिन का विकेट लिया तो वह सिक्का उनका हो जाएगा, लेकिन अगर सचिन का विकेट पूरे सेशन में कोई नहीं ले पाता था, तो वह सिक्का तेंदुलकर के नाम हो जाता था. सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट मानते हैं. सचिन कभी भी अंडर-19 टीम का हिस्सा नहीं रहे और सीधे सीनियर खिलाड़ियों में शामिल हो गए.

 

युवा न बनाएं SachinTendulkar को अपना आदर्श, ऐसा कहना है दादा यानि कि सौरव गांगुली का. आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं गांगुली. पढ़ें पूरी खबर

सचिन को आदर्श न बनाएं युवाः सौरव गांगुली

सचिन और सौरव गांगुली ने मिलकर काफी क्रिकेट साथ खेली है. इन दोनों खिलाड़ियों भारत की बल्लेबाजी को एक नया आयाम दिया था. वनडे क्रिकेट में सचिन के साथ सलामी बल्लेबाजी कर चुके गांगुली ने सचिन के संन्यास पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि युवाओं को सचिन जैसा बनने के बारे में नहीं सोचना चाहिए.
गांगुली ने कहा, 'सचिन के साथ बहुत खेल चुका हूं. सचिन तेंदुलकर के बारे में आप बोलते जाएंगे तो पूरा दिन निकल जाएगा. मैं सभी युवा खिलाड़ियों से एक ही बात कहना चाहता हूं कि बहुत लोग ऐसे हैं जो टैलेंट लेकर पैदा हुए, सचिन उन सब से इसलिए अलग हैं, क्योंकि उन्होंने इस टैलेंट को इतनी महानता दी. जो क्रिकेट खेलना चाहते हैं वो सचिन का टैलेंट न देखें, क्योंकि वो टैलेंट हर किसी में नहीं हो सकता. क्रिकेट के लिए जो साधना उन्होंने की लोग उसे देखें.'
दादा के मुताबिक, 'सचिन मेरी नजर में सबसे बड़े खिलाड़ी हैं. उनको बहुत पास से देखा है मैंने तो मैं समझ सकता हूं कि मैं ऐसा क्यों बोल रहा हूं. मेरे दिल या दिमाग में कोई संदेह नहीं है इस बात को लेकर कि सचिन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं.'
गांगुली ने आगे कहा, 'सचिन ने संन्यास का फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया. मुझे उम्मीद है कि सचिन अपना 200वां टेस्ट अपने होम ग्राउंड पर खेलें.'

 

सचिन तेंदुलकर की पांच सर्वश्रेष्ठ टेस्ट पारियां

सचिन तेंदुलकर
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के 'भगवान' की संज्ञा तक मिल चुकी है. सचिन की अगर सर्वश्रेष्ठ पारियां चुननी हो तो ये आसान काम नहीं होगा, क्योंकि अपने 24 साल के करियर में सचिन ने तमाम ऐसी पारियां खेली हैं, जो टीम इंडिया को मुश्किलों से उबार कर जीत तक ले गई हैं. जब भी सचिन अपनी फॉर्म को लेकर आलोचकों ने निशाने पर आए उन्होंने हमेशा जवाब अपने बल्ले से ही दिया. 1989 में मुंबई के इस लड़के ने अपना करियर शुरू किया और इसी के साथ शुरू हुआ क्रिकेट का एक नया युग, जिसका नाम था 'सचिन तेंदुलकर'. टेस्ट क्रिकेट में सचिन ने 15 हजार रनों का आंकड़ा पार किया है और 51 सेंचुरी जड़ी हैं. सचिन तेंदुलकर की टॉप 5 टेस्ट पारियां...
57 रनों की पारीः India vs Pakistan, दिसंबर 1989
टीम इंडिया का चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और उसके तीन खतरनाक तेज गेंदबाज वसीम अकरम, इमरान खान और वकार यूनिस. क्रिकेट जगत के इन तीन तेज गेंदबाजों की तिकड़ी के सामने था 16 साल का एक लड़का. सचिन ने इस मैच की दूसरी पारी में 57 रनों की पारी खेली थी, मैच ड्रॉ हुआ था. कहते हैं ना पूत के पांव पालने से दिखाई देते हैं, सचिन के लिए ये कहावत बिल्कुल सही है. सचिन ने इस मैच में अपनी छोटी सी पारी से दिखा दिया था कि उन्हें क्रिकेट जगत में लंबा रास्ता तय करना है. इस मैच में सचिन को चोट तक आई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इन तीनों गेंदबाजों का डट कर सामना किया था. 134 गेंदों का सामना करते हुए सचिन ने 6 चौकों की मदद से बनाए थे 57 रन.
119 रनों की पारीः India vs England, अगस्त 1990
टेस्ट क्रिकेट में सचिन ने अपने 9वें मैच में पहली सेंचुरी जड़ी थी. सचिन की उम्र महज 17 साल थी और इंग्लैंड ने ग्राहम गूच, माइक आर्थटन, एलन लैंब और रॉबिन स्मिथ की सेंचुरी की मदद से भारत के सामने मैच के आखिरी दिन 408 रनों का नामुमकिन सा लक्ष्य रखा था. टीम इंडिया के ऊपर हार का खतरा मंडरा रहा था, 183 रनों तक भारत के 6 विकेट गिर चुके थे और नवजोत सिद्धू, रवि शास्त्री, संजय मांजरेकर, दिलीप वेंगसरकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन और कपिल देव सभी पवेलियन लौट चुके थे. सचिन ने मनोज प्रभाकर के साथ मिलकर टीम को हार के मुंह से निकाला था. नाबाद रहते हुए मास्टर ब्लास्टर ने बनाए थे 119 रन और इस दौरान उन्होंने 189 गेंदों का सामना किया था और 17 चौके जड़े थे.
114 रनों की पारीः Australia v India, फरवरी 1992
इस मैच में भारत को 300 रनों की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी, लेकिन ये शिकस्त और भी शर्मनाक होती अगर मास्टर ब्लास्टर के बल्ले से ये अहम पारी नहीं निकलती तो. पर्थ के तेज विकेट पर जहां बाकी भारतीय बल्लेबाजों के लिए 30 रनों तक पहुंचना भी मुश्किल हो रहा था, वहीं सचिन ने सेंचुरी जड़ी थी. सचिन ने क्रेग मैकडेरमॉट और मर्व ह्यूज की गेंदों पर दमदार शॉट जड़े थे. ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 346 रन बनाए और जवाब में टीम इंडिया 159 रनों तक 8 विकेट गंवा चुकी थी, सचिन ने किरन मोरे के साथ मिलकर भारत का स्कोर 200 के पार तक पहुंचाया था. सचिन ने इस दौरान 161 गेंदों का सामना करते हुए 16 चौके जड़े थे.
155 रनों की पारीः India v Australia, मार्च 1998
चेन्नई के चेपक स्टेडियम पर खेली गई इस पारी ने मैच का रुख बदल दिया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया 257 रनों पर ही सिमट गई थी और ऑस्ट्रेलिया ने जवाब में बना डाले थे 328 रन. अब भारत के ऊपर दूसरी पारी में ज्यादा रन बनाने का दबाव था. अच्छी शुरुआत मिली और सचिन ने इस शुरुआत को ठोस लक्ष्य में तब्दील किया. राहुल द्रविड़ और मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ मिलकर सचिन ने शतकीय साझेदारियां निभाईं. सचिन ने 191 गेंदों पर 14 चौके 4 छक्के की मदद से 155 रन ठोक डाले थे. इस नाबाद पारी ने कंगारुओं की मुश्किल बहुत बढ़ा दी थी. भारत ने 418 रनों पर पारी घोषित की और ऑस्ट्रेलियाई टीम 168 रनों पर सिमट गई थी. इस तरह से टीम इंडिया ने ये मैच 179 रनों से अपने नाम कर लिया था.
194 रनों की पारीः Pakistan v India, अप्रैल 2004
मुल्तान क्रिकेट स्टेडियम पर खेले गए इस मैच को वैसे तो वीरेंद्र सहवाग की 309 रनों की पारी के लिए याद किया जाता है. लेकिन वीरू के साथ सचिन ने भी इस मैच में गजब की बल्लेबाजी की थी. वीरू का बल्ला आग उगल रहा था तो सचिन दूसरे छोर पर मजबूत चट्टान की तरह डटे हुए थे. सचिन ने 194 रनों की पारी खेली थी और सहवाग के साथ 336 रनों की साझेदारी भी निभाई थी. भारत ने इस मैच में एक पारी और 52 रनों से जीत दर्ज की थी.

ये है सचिन तेंदुलकर के नाम एक प्रशंसक की चिट्ठी. अगर सचिन से जुड़ी आपकी भी कोई याद ताजा हो गई हो तो हमारे साथ साझा करें

हाय सचिन!
आपके करोड़ों फैन्स के बीच मैं भी हूं. आपने क्रिकेट से संन्‍यास लेने की घोषणा कर दी है. आपने अपने लिए और अपने देश के लिए खूब खेला. क्रिकेट का मतलब होता था आपकी बल्लेीबाजी को देखना. आपके शॉट को देखना. सचिन है तो खेल है. सचिन है तो गेंदबाजों की खैर नहीं. सचिन है तो स्कोर की कमी नहीं. सचिन है तो क्रिकेट है.
क्रिकेट में आपने कई कीर्तिमान बनाए जो शायद ही कोई तोड़ पाए. इसके कई कारण है. पहला तो यह कि अब शायद ही किसी खिलाड़ी का करियर इतना लंबा हो और दूसरा शायद ही कोई खिलाड़ी आपकी तरह विवादों से परे रह पाए.
लगातार प्रयास करते रहना और हिम्मत नहीं हारना आपने कई खिलाड़ियों को ही नहीं हम लोगों को भी सिखाया. आपने तब भी अपने आप को संभाला जब आप शिखर पर थे और उस समय भी आपने अपने संयम को बरकरार रखा जब आप नहीं चल पा रहे थे. आलोचकों को भी आपने समय-समय पर अपने बल्ले से चुप कराने का काम किया.
क्रिकेट के भगवान, मास्टर ब्‍लास्‍टर, रन मशीन जैसे तमाम जुमलों में जिंदा रहने वाले आप क्रिकेट के कई चेहरों से काफी अलग रहे हैं. जिन्‍हें क्रिकेट पसंद न भी था वह आपके कारण देख लिया करते थे. अपने बच्‍चों को लोग सचिन से सीख लेने की कहते.
अब आप क्रिकेट ग्राउंड में बल्ला लिए दौड़ते नजर नहीं आएंगे. कैच लपकते नहीं दिखेंगे और ना ही अपने सहयोगी खिलाड़ी को समझाते नजर आएंगे कि कैसे आखिरी ओवर में गेंद डाले. इन तमाम बातों के बावजूद आपकी लगन और लगातार आगे बढ़ते रहने की लालसा ने लोगों को हिम्मत दी. हालांकि कोई दूसरा आप जैसा नहीं बन सकता, लेकिन आपकी लगन और मेहनत से सीख तो सकता ही है. उम्मीद है कि आने वाले समय में आप किसी और रूप में फिर से हम लोगों के सामने हौसला अफजाई करते नजर आएंगे.
धन्यवाद
आपका एक प्रशंसक

साल दर साल यूं चलता रहा सचिन तेंदुलकर का सफर

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर के दो दशक से ज्यादा लंबे क्रिकेट करियर की मुख्य उपलब्धियां इस प्रकार हैं. 
 
1989: 16 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करते हुए श्रीकांत की कप्तानी वाली टीम में छह पारियों में देश के लिये दो अर्धशतक बनाये.
1990: तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक (नाबाद 119) ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ जमाया.
1993: भारतीय सरजमीं अपना पहला टेस्ट शतक (163) तेंदुलकर ने चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया.
1994: सचिन ने अपना पहला वनडे शतक अपने 79वें मैच में कोलंबो में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिंगर कप में बनाया.
1996: भारत पाकिस्तान की संयुक्त मेजबानी में हुए विश्व कप में सचिन ने दो शतक सहित 523 रन बनाये. तेंदुलकर की कप्तानी में ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को हरा कर टाइटन कप जीता.
1997: सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में टोरंटों में पाकिस्तान के खिलाफ सहारा कप में 4-1 से जीत दर्ज की. इसी साल सर्वश्रेष्ठ विजडन क्रिकेटर चुने गये.
1998: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 155 रन चेन्नई में बनाये जिससे भारत ने 179 रन से जीत दर्ज की.
2001: वन डे में दस हजार रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बने.
2002: सचिन ने पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 117 बना कर सर डान ब्रेडमैन के 29 टेस्ट शतक की बराबरी की और फिर इंग्लैंड के खिलाफ 193 बना कर ब्रेडमैन के रिकॉर्ड को पार किया.
2003: आईसीसी विश्व कप के 11 मैचों में 673 बना कर टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने.
2004: सुनील गावस्कर के 34 शतक के रिकॉर्ड की बराबरी करने वाले विश्व के पहले खिलाड़ी बने. 50 मैन ऑफ द मैच हासिल करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने.
2005: टेस्ट क्रिकेट में 122वें मैच में दस हजार रन पूरे किये.
2006: वनडे में 14 हजार रन पूरे कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. 40 वां शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ कुआलालम्पुर में पूरा किया.
2007: 400वां वन डे खेला.
2008: वनडे में 16हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने. टेस्ट क्रिकेट में ब्रायन लारा के 11953 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड दिया.
2009: हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 बनाये और 17 हजार वनडे रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने.
2010: वन डे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने और स्टीव वॉ के 168 टेस्ट खेलने के रिकॉर्ड को पार किया.
2011: विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ पहला मैच खेलने के साथ ही वह सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाले खिलाडी बने और सनथ जयसूर्या के 444 मैचों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा.
2011: विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई. भारत के लिये विश्व कप में सबसे ज्यादा 482 रन बनाने वाले बल्लेबाज बने.
2012: एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 114 रन बना कर अपना सौवां शतक पूरा किया.
23 दिसंबर 2012: भारतीय क्रिकेट के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की.
2013: टी20 चैंपियंस लीग के दौरान सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के सभी प्रारूपों में 50000 रन बनाने वाले दुनिया के 16वें और एशिया के पहले क्रिकेटर बन गये.
10 अक्टूबर 2013: सचिन तेंदुलकर का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान. 200वां टेस्ट उनके करियर का आखिरी मैच होगा.

राजीव शुक्ला बोले, 'सचिन ने कहा था...संन्यास अचानक लूंगा'

सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि संन्यास पर फैसला अचानक लूंगा. जिस दिन मुझे आभास होगा उस दिन यह फैसला कर लूंगा. सबकुछ अचानक ही होगा. ये जानकारी दी बीसीसीआई अधिकारी और सचिन के करीबी माने जाने वाले राजीव शुक्ला ने.
राजीव शुक्ला ने आज तक से खास बातचीत में बताया कि सचिन तेंदुलकर संन्यास को लेकर पिछले 6 महीने से उनसे संपर्क में थे और कहा था कि इसपर मैं अचानक ही फैसला लूंगा.
उन्होंने कहा, हमारी उनकी बातचीत पिछले 6 महीने से हो रही थी. वो हमसे सलाह मांगते थे. हाल में ही चैंपियंस लीग के दौरान भी इस मुद्दे पर बात हुई थी. मैंने तो यही कहा था कि अगर आप खेलना चाहते हो तो अगले साल की शुरुआत तक खेलो ताकि करियर के 25 साल की शुरुआत हो जाए. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मैं ज्यादा नहीं सोच रहा. पर रिटायरमेंट पर फैसला अचानक ही लूंगा. जिसमें ज्यादा दिमाग लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
राजीव शुक्ला ने आगे बताया, 'आज मुझे सचिन फोन आया. उन्होंने मुझे संन्यास के फैसले के बारे में जानकारी दी. मैंने उनसे पूछा कि पूरी तरह से सोच समझकर यह फैसला किया है. तो उन्होंने कहा कि पूरी तरह से सोच विचार कर लिया है और यह आखिरी फैसला है.'
सचिन ने अपना आखिरी मैच मुंबई में खेलने की उम्मीद जताई है. राजीव शुक्ला ने कहा, 'सचिन ने यही कहा कि अगर मेरा आखिरी मैच मुंबई होता तो बेहतर, ताकि मेरे परिवारवाले और दोस्त ये मैच देखने आ पाते.'
आपको बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया है. उनके करियर का 200वां टेस्ट आखिरी मैच होगा. मैच के वेन्यू को लेकर अभी कोई आखिरी फैसला नहीं किया गया है.

रिटायरमेंट के ऐलान के बाद ये थे सचिन के शब्‍द

क्रिकेट के बिना जिंदगी की कल्‍पना करना भी मुश्किल है: सचिन तेंदुलकर


क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने टेस्‍ट क्रिकेट से संन्‍यास लेने का ऐलान कर दिया है. उनका कहना है कि यह बहुत कठिन समय है और क्रिकेट के बिना जिंदगी की कल्‍पना करना भी मुश्किल है.
रिटायरमेंट का फैसला लेने के बाद सचिन तेंदुलकर ने कहा, 'मैंने जीवन में देश के लिए खेलने का सपना पाला था. बीते 24 साल से मैं हर दिन इस सपने को जी रहा हूं. मेरे लिए क्रिकेट के बगैर रहना नामुमकिन सा लगता है क्योंकि 11 साल की उम्र से मैं इस खेल के साथ रचा-बसा हूं. देश के लिए खेलना मेरे लिए महान सम्मान की बात है. मैं अपने घरेलू मैदान पर 200वां टेस्ट मैच खेलते हुए इस महान खेल को अलविदा कहना चाहता हूं.'

'बीते सालों में मेरा साथ देने के लिए मैं बीसीसीआई को धन्यवाद कहना चाहता हूं. साथ ही मैं अपने परिवार को उसके संयम और मेरी भावना को समझने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. सबसे बाद में और सबसे अधिक दिल से मैं अपने प्रशंसकों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने लगातार अपनी दुआओं और हौसलाअफजाई से मुझे अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करनी की क्षमता और शक्ति प्रदान की.'

 

सचिन तेंदुलकर ने किया टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान, कहा- मेरे लिए कठिन समय


टीम इंडिया के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अपना 200वां टेस्ट मैच खेलकर सचिन संन्यास लेंगे.
सचिन ने बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन को फोन पर जानकारी दी कि वो अपने 200वें टेस्ट के बाद संन्यास लेंगे. उन्होंने मुंबई में आखिरी टेस्ट मैच खेलने की इच्छा जताई है.

रिटायरमेंट के फैसले के बाद सचिन तेंदुलकर ने कहा कि ये उनके लिए कठिन समय है. उन्‍होंने कहा, 'मैंने 24 साल क्रिकेट को दिए. देश के लिए खेलना मेरा सपना था. बिना क्रिकेट जीवन की कल्‍पना भी मुश्किल है. यह मेरे लिए कठिन समय है. मैं अपने फैन्‍स और परिवार का शुक्रिया करना चाहता हूं.'

फिलहाल सचिन पहले ही वनडे इंटरनेशनल और टी-20 मैचों से संन्यास ले चुके हैं. बल्लेबाजी की अगर बात करें तो इंटरनेशनल क्रिकेट में शतकों का शतक बना चुके सचिन ने शायद की कोई रिकॉर्ड बाकी छोड़ा है.
सचिन अब तक 198 टेस्ट मैच खेल चुके हैं, इस दौरान उन्होंने 51 शतक जड़े हैं, हालांकि पिछले दो साल उनके लिए कुछ खास नहीं रहे हैं. उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट शतक 2011 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ जड़ा था.
 
सचिन के आंकड़े पर एक नजर
198 टेस्ट मैचों में सचिन तेंदुलकर ने 53.87 की औसत से 15,837 रन बटोरे. सचिन ने अपने 25 सालों के क्रिकेट करियर में सचिन ने 51 शतक और 67 अर्धशतक जड़े. सचिन का टेस्ट क्रिकेट में उच्चतम स्कोर 248 नॉट आउट है जो उन्होंने बांग्लादेश में 2004 में बनाया था.


सचिन ने टेस्ट क्रिकेट में 6 बार दोहरा शतक भी जड़ा है. अपने करियर में सचिन जहां 33 बार नॉट आउट रहे वहीं 14 बार वह खाता खोलने में नाकाम रहे. टेस्ट में सचिन अनियमित लेकिन बहुत उपयोगी गेंदबाज थे. हालांकि उनके कुल 45 विकेट बहुत कुछ नहीं कहते लेकिन जिन लोगों ने उन्हें गेंदबाजी करते हुए देखा है वो जानते हैं कि ये 45 विकेट तब लिए गए जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. इसके अलावा सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में 115 कैच भी लपके.