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Thursday, October 10, 2013

मैं भगोड़ा नहीं दूं, सही समय पर आऊंगा सामने: नारायण साईं, सौ घंटे से लापता नाराय़ण साईं के वकील ने अखबारों में विज्ञापन जारी करके कहा है कि साईं भगोड़े नहीं हैं

अहमदाबाद/ नई दिल्ली: सौ घंटे से लापता नाराय़ण साईं के वकील ने अखबारों में विज्ञापन जारी करके कहा है कि साईं भगोड़े नहीं हैं. सही समय पर वो जांच में सहयोग करेंगे. आसाराम की कस्टडी के लिए गुजरात पुलिस आज जोधपुर कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड मांगने वाली है.

यौन शोषण के केस के बाद छिपे-छिपे घूम रहे नारायण साईं के वकील ने अखबारों में विज्ञापन देकर किया है उनका बचाव. इस विज्ञापन में नारायण साईं ने लिखा है कि मुझे फंसाया जा रहा है और मुझे कानून लड़ाई लड़ने का पूरा हक है.

नारायण साईं इस विज्ञापन के जरिए अपने समर्थकों को भरोसा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कहीं ना कहीं उनके और आसाराम के तिलिस्म का महल अब दरकने लगा है. 

गौरतलब है कि पुलिस की छह टीमें लगातार नारायण साईं की तालाश कर रही हैं. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि नारायण साईं नेपाल भाग गए हैं लेकिन पुलिस ने साफ कर दिया कि ये बातें बेबुनियाद हैं.

पुलिस के मुताबिक देश के तमाम हवाई अड्डों समेत हर उस जगह नज़र रखी जा रही है जहां से नारायण साईं विदेश जा सकते हैं. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि वे विदेश भाग गए हैं.
अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये ही है कि अगर वे देश में ही हैं तो पुलिस उन तक क्यों नहीं पहुंच पा रही है?

पाखंडी नारायण साईं के कुकर्मों की कहानी, तस्‍वीरों की जुबानी

आसाराम और नारायण साईं के कुकर्मो का अब खुलासा हो गया है. कई मौकों पर पाखंडी भगवान नारायण साईं कहते आए हैं कि उनकी शादी नहीं हुई, लेकिन हम|रे पास है नारायण साईं की शादी की तस्‍वीरें.


 नारायण साईं के खिलाफ सूरत की एक लड़की ने गवाही दी है. नारायण साईं पर आरोप लगाया है कि कई बार उसके साथ रेप हुआ है और नारायण साईं ने जबरन अप्राकृतिक सेक्‍स भी किया है.


 नारायण साईं की करतूतों का खुलासा हाल ही में आज तक के हाथ लगे कुछ लव लेटर्स से भी हुआ.

दो बहनों के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद सूरत पुलिस ने कथावाचक आसाराम के पुत्र नारायण साई का पता लगाने के लिए छह टीमें गठित की हैं.

दो बहनों द्वारा यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाये जाने के बाद साईं का पता नहीं चल रहा है.


 नारायण साईं को लड़कियों से 'स्‍वीटहार्ट' गॉड कहलवाना भी पसंद है.

नारायण साईं के साथ ही आसाराम की पत्नी लक्ष्मी और बेटी भारती पर भी आरोपों के कठघरे में हैं. सूरत पुलिस की तरफ से लुक आउट नोटिस जारी हुआ है. बाबा जेल में और बेटे की करतूतों का पर्दाफाश हो रहा है.

Wednesday, October 9, 2013

साहित्य के आसाराम की कहानी एक भुक्तभोगी महिला की ज़ुबानी , ज्योति कुमारी के जरिए जानिए साहित्य के आसाराम की कहानी

राजेंद्र यादव

जुलाई 2013 में एक खबर आई थी कि राजेन्द्र यादव की प्रिय लेखिका ज्योति कुमारी ने ‘हंस’ का बहिष्कार किया है। सितम्बर के संपादकीय में ज्योति को लेकर श्री यादव का अनर्गल प्रलाप छपा। अक्टूबर संपादकीय में उन्होंने अपनी गलती के लिए युवा लेखिका से क्षमा मांग ली। राजेन्द्र यादव और हंस के बहिष्कार को लेकर आशीष कुमार ‘अंशु’ ने ज्योति कुमारी से लंबी बातचीत की। ज्योति ने विस्तार से पूरी कहानी बयान की। इस कहानी में यदि आने वाले समय में राजेन्द्र यादव का पक्ष शामिल होता है तो यह कहानी पूरी मानी जाएगी। यहां प्रस्तुत है, ज्योति का बयान, जैसा उन्होंने आशीष को बताया।
‘हंस’ का बहिष्कार करना किसी भी नई लेखिका के लिए आसान फैसला नहीं होता। खास तौर पर जब मेरे लेखन की अभी शुरूआत है। इस बात से कोई इंकार नहीं है कि हंस में जब कहानी छपती है तो अच्छा रिस्पांस मिलता है। मेरी कहानियां ‘हंस’, ‘पाखी’, ‘परिकथा’, ‘नया ज्ञानोदय’ और अभी बहुवचन में छपी है लेकिन हंस में प्रकाशित किसी भी कहानी के लिए सबसे अधिक फोन, एसएमएस और चिट्ठियां मिली हैं। किसी भी लेखक को यह अच्छा लगता है।
मैं पिछले दो सालों से राजेन्द्र यादव और हंस के लिए काम कर रहीं थी। मेरा वहां काम यादवजी जो बोले, उसे लिखने का था, हंस में अशुद्धियों को दुरुस्त करना और उसके संपादन से जुड़े काम को भी मैं देखती थी। जब ‘स्वस्थ्य आदमी के बीमार विचार’ पर काम शुरू किया, उसके थोड़ा पहले से मैं उनके पास जा रही थी। लगभग दो साल से मैं उनके पास जा रही हूं। इस काम के लिए वे मुझे दस हजार रूपए प्रत्येक महीने दे रहे थे। मैं मुफ्त में उनके लिए काम नहीं कर रही थी। सबकुछ ठीक था। यादवजी का स्नेह भी मिल रहा था। उस स्नेह में कहीं फेवर नहीं था। अपनी कहानियों के लिए कभी मैंने उन्हें नहीं कहा। मैं उन्हें लिखने के बाद कहानी दिखलाती थी और कहती थी कि यह यदि हंस में छपने लायक हो तो छापिए। मेरी पांच-छह कहानियां हंस में छपी।
यदि किसी लेखिका की पहली कहानी छपना उसे किसी साहित्यिक पत्रिका का प्रोडक्ट बनाता है तो मुझे ‘परिकथा’ का प्रोडक्ट कहा जाना चाहिए। मेरी पहली कहानी ‘परिकथा’ में छपी है। मैं हंस की प्रोडक्ट नहीं हूं। यह सच है कि कथा संसार में मेरी पहचान हंस से बनी। ‘हंस’ मेरे लिए स्त्री विमर्श की पत्रिका रही है। ‘हंस’ से मैने स्त्री अधिकार और स्त्री सम्मान को जाना है। राजेन्द्र यादव जो अपने संपादकीय में लिखते रहे हैं और जो विभिन्न आयोजनों में बोलते रहे हैं। इन सबसे उनकी छवि मेरी नजर स्त्री विमर्श के पुरोधा की बनी।
एक जुलाई 2013 को उनके घर में जो दुर्घटना हुई, उससे पहले उनसे मेरी कोई शिकायत नहीं थी। सबकुछ उससे पहले अच्छा चल रहा था। मैं उन्हें अपने अभिभावक के तौर पर पितातुल्य मानती रहीं हूं। मेरा उनसे इसके अलावा कोई दूसरा रिश्ता नहीं रहा। इसके अलावा केाई दूसरी बात करता है तो गलत बात कर रहा है। राजेन्द्र यादव मुझसे कहते थे- ‘तुझे देखकर मेेरे अंदर इतना वातशल्य उमरता है, जितना बेटी रचना के लिए भी नहीं उमरा। कभी मैं उन्हें कहती थी कि मुझे हंस छोड़ना है तो वे मुझे बिटिया रानी, गुड़िया रानी बोलकर, हंस ना छोड़ने के लिए मनाते थे। राजेन्द्र यादव हमेशा मेरे साथ पिता की तरह ही व्यवहार करते थे।
जब से मैं उनके पास काम कर रहीं हूं, प्रत्येक सुबह 8ः00 बजे- 8ः30 बजे उनके फोन से ही मेरी निन्द खुलती थी। फोन उठाते ही वे कहते- अब उठ जा बिटिया रानी। मैं उनके घर 10ः30 बजे सुबह पहुंचती थी। वे रविवार को भी बुलाते थे। रविवार को उनके घर शाम तीन-साढे तीन बजे पहुंचती थी।
राजेन्द्र यादव का मानना था कि वे हंस कार्यालय में एकाग्र नहीं हो पाते हैं। इसलिए वे संपादकीय लिखवाने के लिए घर ही बुलाते थे। जब मैंने राजेन्द्र यादव के साथ काम करना शुरू किया, उन दिनों राजेन्द्र यादव दफ्तर नहीं जाते थे। वे बीमार थे। तीन-चार महीने तक वे बिस्तर पर ही पड़े रहे। ‘स्वस्थ्य आदमी ……’ वाली किताब उन्होंने घर पर ही लिखवाई। उस दौरान वे हंस नहीं जा रहे थे। जब उन्होंने हंस जाना प्रारंभ किया, उसके बाद भी वे रचनात्मक लेखन घर पर ही करते थे। दफ्तर में वे चिट्ठियां लिखवाते थे। मेरी नौकरी उनके घर से शुरू हुई थी, इस तरह मेरा एक दफ्तर उनका घर भी था।
30 जून 2013 की रात 10ः00-10ः15 बजे के आस-पास मेरे मोबाइल पर नए नंबर से फोन आया। नए नंबर के फोन इतनी रात को मैं उठाती नहीं। लेकिन एक नंबर से दो-तीन बार फोन आ जाए तो उठा लेती हूं। जब दूसरी बार में मैंने नए नंबर वाला फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई- ‘मैं प्रमोद बोल रहा हूं।’ जब मैने पूछा -‘कौन प्रमोद?’ तो उसने राजेन्द्र यादव का नाम लिया। प्रमोद, राजेन्द्र यादव का अटेन्डेन्ट था। ‘हंस’ में मेरी राजेन्द्र यादव और संगम पांडेय से बात होती थी और किसी से कुछ खास बात नहीं होती थी। मैं बातचीत में थोड़ी संकोची हूं, यदि सामने वाला पहल ना करे तो मैं बात शुरू नहीं कर पाती। प्रमोद से मेरी बातचीत सिर्फ इतनी थी कि वह दफ्तर पहुंचने पर राजेन्द्र यादव के लिए और मेरे लिए एक गिलास पानी लाकर रखता था और पूछता था- ‘मैडम आप कैसी हैं?’ इससे अधिक मेरी प्रमोद से कोई बात हुई हो, मुझे याद नहीं।
उसका फोन आना मेरे लिए आश्चर्य की बात थी। उसने फोन पर कहा- ‘मुझसे आकर मिलो। मैंने तुम्हारा वीडियो बना लिया है। उसे मैं इंटरनेट पर डालने जा रहा हूं।’
यह फोन मेरे लिए झटका था। कोई यदि वीडियो बनाने की बात कर रहा है तो निश्चित तौर पर यह किसी आम वीडियो की धमकी नहीं होगी। वह नेकेड वीडियो की बात कर रहा होगा। मैंने राजेन्द्र यादव को उसी वक्त फोन मिलाया। जब राजेन्द्र यादव से मेरी बात हो रही थी, उस दौरान भी प्रमोद का फोन वेटिंग पर आ रहा था। राजेन्द्र यादव को मैने फोन पर कहा- ‘प्रमोद नेकेड वीडियो की बात कर रहा है, आप देखिए क्या मामला है?’
राजेन्द्र यादव ने कहा- अब मेरे सोने का वक्त हो रहा है। सुबह बात करूंगा। उनसे बात खत्म हुई प्रमोद का फोन जो वेटिंग पर बार-बार आ ही रहा था। फिर आ गया- उसने फिर मुझे धमकाया।
राजेन्द्र यादव जो दो साल से प्रतिदिन मुझे फोन करके उठाते थे। उस दिन उनका फोन नहीं आया। जब मैंने फोन किया तो उन्होंने कहा- ‘मैं आंख दिखलाने एम्स जा रहा हूं। तुमसे दोपहर में बात करता हूं। फिर राजेन्द्र यादव का फोन नहीं आया। फिर मैंने ही फोन किया, राजेन्द्र यादव ने फोन पर मुझे कहा- प्रमोद कह रहा है, वीडियो सुमित्रा के पास है और सुमित्रा कह रही है वीडियो प्रमोद के पास है। पता नहीं चल पा रहा कि वीडियो किसके पास है। ऐसा करो, इस मसले को अभी रहने दो। इस पर बात 31 जुलाई वाले कार्यक्रम के बीत जाने के बाद बात करेंगे। मुझे यह बात बुरी लगी। मैंने कहा- ‘आज एक जुलाई है। 31 जुलाई में अभी तीस दिन है। इस बीच प्रमोद ने कुछ अपलोड कर दिया तो फिर मेरी बदनामी होगी। आप भारतीय समाज को जानते हैं। मैं कहीं की नहीं रहूंगी। मैंने कई बार राजेन्द्र यादव को फोन किया और एक बार प्रमोद को भी फोन किया- ‘आप सच बोल रहे हैं या कोई मजाक कर रहे हैं। क्या है उस वीडियो में?’
उसने ढंग से बात नहीं की। उसका जवाब था- ‘जब दुनिया देखेगी, तुम भी देख लेना।’
जब कई बार फोन करने के बाद भी राजेन्द्र यादव ने मेरी बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया फिर मैंने उन्हें फोन करके कहा कि मैं शाम में आपके घर आ रही हूं। यह छोटी बात नहीं है। आप प्रमोद से बात करिए।
मेरे साथ जो दुर्घटना हुई, उसके बाद मैने लोगों से बातचीत बंद कर दी थी। अब जब फिर से बातचीत हो रही है तो यह सुनने में आ रहा है कि कुछ लोग कह रहे हैं- ज्योति अगर राजेन्द्र यादव के घर में कुछ गलत काम नहीं कर रही थी, राजेन्द्र यादव के साथ उसके नाजायज संबंध नहीं थे फिर वह वीडियो की बात से डरी क्यों? यहां स्पष्ट कर दूं कि यह वीडियो मेरा और राजेन्द्र यादव का होता तो मैं बिल्कुल नहीं डरती। ना मैं घबरातीं, वजह यह कि प्रमोद राजेन्द्र यादव के पास काम करता था, फिर क्या वह अपने मालिक का वीडियो अपलोड करता? अपलोड करता तो क्या सिर्फ ज्योति की बदनामी होती? क्या राजेन्द्र यादव की नहीं होती।
राजेन्द्र यादव का कद बड़ा है। उनकी बदनामी भी बड़ी होती। यदि वे सेफ होते तो मैं भी सेफ होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। वे मुझे बेटी तुल्य मानते रहे थे। मेरे लिए वे पितातुल्य थे। इसका मतलब था कि यदि प्रमोद ने कोई वीडियो वास्तव में बनाया था तो वह मेरे अकेले की वीडियो होगी। मैं राजेन्द्र यादव के यहां काम करती थी तो उनका बाथरूम भी इस्तेमाल करती थी। राजेन्द्र यादव से मेरी घनिष्ठता हो ही गई थी। कई बार जब मेरे घर पानी नहीं आया होता तो राजेन्द्र यादव कहते थे- मेरे घर आ जाओ। डिक्टेशन ले लो और यहीें पर नहा लेना। उनके बाथरूम का कई बार मैने इस्तेमाल नहाने के लिए किया है। मेरा डर यही था, बाथरूम में नहाते हुए कैमरा छुपाकर मेरा नेकेड वीडियो प्रमोद, राजेन्द्र यादव के घर में बना सकता है। एक अकेली लड़की का नेकेड वीडियो जब इंटरनेट पर डाला जाता है तो बिल्कुल नहीं देखा जाता कि वह अकेली है या फिर किसी के साथ है। यदि लड़की वीडियों में नेकेड है तो उसकी बदनामी होनी है, उसकी परेशानी होनी है। इस बात से मैं डरी थी। यदि राजेन्द्र यादव के साथ कोई वीडियो होता फिर डर की कोई बात नहीं थी। यदि राजेन्द्र यादव सेफ हैं तो उनके साथ वाला भी सेफ है।
वीडियो वाली बात से मैं काफी परेशान थी। परेशान होकर मैं राजेन्द्र यादव के घर पहुंची। एक जुलाई को 6ः30-6ः45 बजे शाम में। मैंने राजेन्द्र यादव से कहा- ‘सर आप मेरे सामने प्रमोद से बात करें कि वह क्या वीडियो है? वह दिखलाए।’
मैं राजेन्द्र यादव को सर ही कहती हूं। उनका जवाब था- ‘मैं प्रमोद को कुछ नहीं कहूंगा। उसे बुला देता हूं, तुम खुद ही उससे बात कर लो।’
यह बातचीत राजेन्द्र यादव के कमरे में हुई। वे उस वक्त शराब पी रहे थे। उनके सामने ही प्रमोद ने अपशब्दों का प्रयोग किया। यह मामला अभी न्यायालय में है। प्रमोद यह आलेख लिखे जाने तक जेल में है। इस पूरी घटना में दुखद पहलू यह है कि यह सब एक ऐसे आदमी की नजरों के सामने हुुआ जिसकी छवि देश में स्त्रियों के हक में खड़े व्यक्ति के तौर पर है। वह मुकदर्शक बनकर अपने कर्मचारी द्वारा एक स्त्री के लिए प्रयोग किए जा रहे अशालीन भाषा को सुनता रहा। वे उस वक्त भी शराब पीने में मशगूल थे, जब उनका कर्मचारी स्त्री के साथ अमर्यादित व्यवहार कर रहा था। इस पूरी घटना के दौरान राजेन्द्र यादव बीच में सिर्फ एक वाक्य प्रमोद को बोले- ‘यार कुछ है तो दिखा दे ना…’
मानों छुपन-छुपाई के खेल में चॉकलेट का डब्बा गुम हो गया हो। जबकि प्रमोद कई बार राजेन्द्र यादव के सामने धमका चुका था- वीडियो इंटरनेट पर अपलोड कर दूंगा। फिर भी वे चुप थे। मैं भी चुप हो जाती। कोई कदम नहीं उठाती लेकिन उसके बाद जो प्रमोद ने किया वह किसी भी स्त्री के लिए अपमानजनक था। मामला न्यायालय में है इसलिए उस संबंध में यहां नहीं बता रहीं हूं। मेरे साथ जो हुआ, उसके बाद मैं समझ गई थी कि मेरा अब यहां से बच कर निकलना नामूमकिन है। मैंने राजेन्द्र यादव के कमरे में रखे टेलीफोन से सौ नंबर मिलाया। उस वक्त राजेन्द्र यादव बोले- ‘यह क्या कर रही हो? फोन रख।’ तब तक दूसरी तरफ फोन उठ चुका था। मैंने फोन पर सारी बात बता दी। मेरे साथ क्या हुआ और मुझे मदद की जरूरत है।
फोन रखने के बाद अब तक शांत पड़े राजेन्द्र यादव फिर बोले- ‘यह सब क्या कर रही हो? पुलिस के आने से क्या हो जाएगा? बेवजह बात ना बढ़ा।’
पुलिस को फोन मिलाने के बाद प्रमोद शांत हो गया था। राजेन्द्र यादव ने अब प्रमोद से कहा- ‘तू जा यहां से।’ उनकी आज्ञा मिलते ही प्रमोद आज्ञाकारी बच्चे की तरह चला गया। अब राजेन्द्र यादव ने मुझसे कहा- पुलिस को कुछ नहीं बताना है। मैंने कहा- ‘यह नहीं होगा सर। आपके सामने, आपके घर में इतनी बुरी हरकत हुई है मेरे साथ। आपसे मैं बार-बार फोन पर कहती रही कि आप प्रमोद से बात कीजिए लेकिन आपने वह भी नहीं किया। अब मैं पुलिस को सारी बात बताऊंगी।’
यदि मेरे मन में कोई चोर होता तो मैं वहां डर जाती। मेरे मन में कोई चोर नहीं था, इसलिए मैं डरी नहीं। मेरे अंदर सिर्फ इतनी बात थी कि मेरे साथ जो हुआ है, वह गलत हुआ है। इसलिए मैं पुलिस में शिकायत करूंगी।
राजेन्द्र यादव लगातार मुझे समझाते रहे कि पुलिस में शिकायत करने से कुछ नहीं होगा। सौ नंबर पर उन्होंने रिडायल किया, शायद यह कन्फर्म करने के लिए कि उनके घर से पुलिस के पास फोन गया था या नहीं? जब उधर से कहा गया कि फोन आया था तो यादवजी ने कहा- ‘अब पुलिस को भेजने की जरूरत नहीं है। आपसी मारपीट थी। अब सुलझ गया सबकुछ।’
मैं वहीं बैठी थी। मैने दुबारा फोन मिलाया कि पुलिस अभी तक नहीं आई? दूसरी तरफ से मुझसे सवाल पूछा गया- ‘मैडम आप इतनी सुरक्षित तो हैं ना, जितनी देर में पुलिस आप तक पहुंच सके?’
मैंने कहा- सुरक्षित हूं। प्रमोद बाहर बैठा है और राजेन्द्र यादव फोन पर किसी से बात कर रहे हैं।
पुलिस आई। उन्होंने प्रमोद को थाने ले जाने के लिए पकड़ा। साथ में मुझे भी बयान के लिए ले जा रहे थे। राजेन्द्र यादव ने पुलिस वाले से कहा- ‘क्या इतनी छोटी सी बात के लिए ले जा रहे हो? बैठो यहां। स्कॉच लोगे या व्हीस्की? मेरे पास 21 साल पुरानी शराब है। एक से एक अच्छी शराब है। कहो क्या लोगे?’
लेकिन पुलिस वाले ने कहा- ‘सर लड़की के साथ ऐसा हुआ है। यह छोटी बात नहीं है।’
मेरा कुर्ता खींच-तान में फट गया था। मेरे पास ऐसी खबर आ रही है कि कुछ लोग कह रहे हैं कि ज्योति ने खुद ही अपने कपड़े फाड़ लिए। कोई भी लड़की पहली बात इतनी बेशरम नहीं होती कि अपने कपड़े खुद फाड़ ले। यदि फाड़ेगी तो उसका उद्देश्य क्या होगा? सामने वाले पर इल्जाम लगाना। मैने इसके लिए प्रमोद पर आरोप नहीं लगाया है। मैंने कहा है कि यह खींच-तान में फटा है।
प्रमोद राजेन्द्र यादव के पास अप्रैल में आया है। वह राजेन्द्र यादव के घर में रहता है। उनके कमरे में सोता है। उसकी गिरफ्तारी भी राजेन्द्र यादव के घर से हुई थी।

Monday, October 7, 2013

Asaram Bapu's son Narayan Sai, accused of rape, is missing, say cops

Surat: Spiritual leader Asaram Bapu, already in jail on charges of sexually assaulting a schoolgirl, has been accused of rape, along with his son, by a pair of sisters.

One of the women, who has complained, lived in the guru's ashram or retreat at Surat in Gujarat. The police says it was unable to locate Narayan Sai and has issued a lookout notice for him; airports have been alerted to ensure he does not leave the country.

Asaram Bapu, famous for his large workshops at which he instructed thousands of followers in meditation and spirituality, was arrested more than a month ago after a schoolgirl said he sexually assaulted her at a room at his ashram in Jodhpur in Rajasthan. He has denied the charges; his son, Narayan Sai has said the girl is mentally disturbed.

The two sisters, who have now registered a case of rape against the father and son, say that the teenager's courage in seeking justice motivated them to take action.

While the one who has accused Narayan Sai of assault lived at an ashram in Surat, her sister stayed at Asaram's ashram in Ahmedabad.

Describing their allegations as a "conspiracy," Neelam Dubey, a spokesperson for Asaram Bapu said, "If they are rapists, how can there be several hundreds of women followers of Bapu?"

Sunday, October 6, 2013

Two sisters accuse Asaram Bapu, his son of raping them; case registered in Surat

Ahmedabad: A fresh case of sexual assault has been registered against spiritual leader Asaram Bapu, who is in jail on similar charges. The complaint lodged by two sisters in Surat also names Asaram's son Narayan Sai.

The elder of the two sisters has alleged in her complaint that she was raped by Asaram at his Ahmedabad ashram; the younger sister has accused Narayan Sai of raping her in Surat. They say they are Asaram's followers and the incidents took place between 2002 and 2004.

Asaram, 75, was arrested in August on charges of sexually assaulting a schoolgirl and has been in prison in Jodhpur in Rajasthan since then. Shilpi, one of his key aides and the warden of Asaram's 'ashram' in Chhindwara district of Madhya Pradesh where the alleged sexual assault took place, too has been arrested and sent to judicial custody.

In court, investigators alleged that the spiritual leader has paedophilia.

But Asaram's famous lawyer, Ram Jethmalani, alleged that the teen complainant is not under-age or younger than 18, and that she made up the charges because she likes to spend time online and watch movies and was restricted in both activities at the boarding school where she was enrolled at one of Asaram Bapu's ashrams in Madhya Pradesh.

In August, she travelled with her parents to meet him at his retreat in Jodhpur.  She has told the police that she then spent an hour with him in a room, while her parents waited outside.  He allegedly promised her family that he would exorcise her of evil spirits

Tuesday, October 1, 2013

आसाराम को नहीं मिला आराम, 11 अक्‍टूबर तक जेल में पीसेंगे चक्‍की


 जोधपुर। नाबालिग लड़की से यौन उत्‍पीड़न के मामले में जेल में बंद आसाराम बापू को अभी 11 अक्‍टूबर तक जेल में रहना होगा। जी हां जोधपुर की जिला एवं सत्र न्‍यायालय ने आसाराम की न्‍यायिक हिरासत 11 अक्‍टूबर तक बढ़ा दी है। मालूम हो कि आसाराम बापू की न्‍यायिक हिरासत आज समाप्‍त हो रही थी। वहीं मंगलवार को यानी कि कल आसाराम की जमानत याचिका पर राजस्‍थान हाईकोर्ट में सुनवाई की जायेगी। निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को अपना वकील नियुक्त किया है। प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक आसाराम की अहम राजदार और छिंदवाड़ गुरुकुल की वार्डन शिल्‍पी उर्फ संचिता गुप्‍ता की भी चार दिन की रिमांड आज समाप्‍त हो गई है और उसपर भी सुनवाई आज ही होनी है। वहीं कोर्ट ने आसाराम बापू के खास सेवक और उनके कुकर्मों में भागीदार शिवा को भी 11 अक्‍टूबर तक के लिये जेल भेज दिया है। मालूम हो कि 1 सितम्बर से जेल में बंद आसाराम की सोमवार को होने वाली पेशी से पहले उनके समर्थक पुलिस से उलझ गए। आसाराम के सेशन कोर्ट में आने से पहले ही उनके सैकड़ों समर्थक कोर्ट परिसर के आस-पास बड़ी संख्या में एकत्र हो गए। यही नहीं काफी समर्थक अदालत के अंदर तक घुस गए। समर्थकों का भारी जमावड़ा देख पुलिस ने उनसे बाहर निकलने की बात कही तो वे उग्र हो गए। इसके बाद पुलिस ने लाठियां फटकार कर उन्हें वहां से खदेड़ा। भागमभाग में कुछ लोग चोटिल भी हो गए। वहीं आसाराम की अहम राजदार शिल्‍पी ने पूछताछ में कुछ ऐसे खुलासे किये हैं जो मंगलवार को आसाराम की जमानत में रुकावट डाल सकते हैं। शिल्‍पी ने पूछताछ में बताया कि नाबालिग लड़की से यौन उत्‍पीड़न एक सोची-समझी साजिश थी। नाबालिग को आसाराम के पास भेंजने को मजबूर करने के लिये ही भूत-प्रेत का साया होने तथा बीमार होने की झूठी कहानी गढ़ी गई थी।

यौन शोषण में ऐसे फंसे आसाराम HC से भी नहीं मिला आराम, जमानत खारिज

जोधपुर। आसाराम की जमानत की सारी उम्‍मीदें जब समाप्‍त हो गईं थी तब सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने काबिल वकील राम जेठमलानी ने उन्‍हें जमानत दिलाने का जिम्‍मा लिया था। राम जेठमलानी ने राजस्‍थान हाईकोर्ट से आसाराम की जमानत मांगी थी। मगर नाबालिग लड़की के यौन उत्‍पीड़न के आरोप में घिरे आसाराम बापू को आज हाईकोर्ट ने करारा झटका दिया है। राजस्‍थान हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले कल यानी कि सोमवार को जोधपुर जिला अदालत ने भी आसाराम को राहत नहीं दी थी। सोमवार को स्‍थानीय अदालत ने आसाराम बापू और उनके कुकर्मों में बराबर का भागीदारी शिवा की न्‍यायिक हिरासत 11 अक्‍टूबर तक के लिये बढ़ा दी थी। हाईकोर्ट में आसाराम की तरफ से दलील पेश करते हुए रामजेठ मलानी ने कहा कि लड़की शान-ओ-शौकत की जिंदगी जीना चाहती थी इसलिये उसने आसाराम को फंसाने की साजिश रची। वहीं पीडि़ता पक्ष की तरफ सरकारी वकील ने अदालत में आसाराम का मेडिकल रिपोर्ट पेश किया। इस रिपोर्ट में आसाराम को पेडोफाइल नामक बीमारी से ग्रसित बताया गया है। वहीं हाईकोर्ट ने राम जेठमलानी को फटकारा और कहा कि बिना किसी सबूत के उन्‍हें लड़की के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए। मालूम हो कि यौन उत्‍पीड़न के आरोप में आसाराम को 1 सितंबर को और उसके कुछ दिन बाद ही उनके सहयोगी शिवा को गिरफ्तार किया गया था। वहीं आसाराम की सबसे अहम राजदार शिल्पी ने पिछले सप्ताह अदालत में आत्मसमर्पण किया था। शिल्पी पर 16 साल की लड़की को मनाई आश्रम भेजने का इंतजाम करने का आरोप है जहां आसाराम ने अगस्त में कथित रूप से उसका यौन उत्पीड़न किया था।

Asaram Bapu has paedophilia, claims police; he's denied bail

Spiritual leader Asaram Bapu, in jail on charges of sexually assaulting a school girl, has been refused bail today by the Rajasthan High Court.

The 75-year-old was arrested in August and has been in prison in Jodhpur in Rajasthan since then.

Investigators alleged in court today that he has paedophilia.

The guru's famous lawyer, Ram Jethmalani, alleged that the teen complainant is not under-age or younger than 18, and that she made up the charges because she likes to spend time online and watch movies and was restricted in both activities at the boarding school where she was enrolled at one of Asaram Bapu's ashrams in Madhya Pradesh.

In August, she travelled with her parents to meet him at his retreat in Jodhpur.  She has told the police that she then spent an hour with him in a room, while her parents waited outside.  He allegedly promised her family that he would exorcize her of evil spirits.

Asaram Bapu's son has said that the school girl is mentally disturbed.