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Thursday, October 10, 2013

दिल्ली की जनता भले ही इस चुनाव में भाजपा को पसंद कर रही है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल को ज्यादा तरजीह दे रहे है। भाजपा को वोट देने वाले करीब 15 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो सीएम के रूप में केजरीवाल को पसंद कर रहें हैं। सर्वे

दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा:हमवतन और न्यूज एक्सप्रेस मीडिया एकेडमी का सर्वे

‘न्यूज एक्सप्रेस’ मीडिया एकेडमी के साथ मिलकर जब ‘हमवतन’ ने दिल्ली की जनता की नब्ज को टटोला, तो कुछ चौंकाने वाले जवाब सामने आए हैं। मसलन, पिछले 15 सालों से दिल्ली पर राज कर रहीं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित मुकाबले में तो बनी हुई हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता में जबर्दस्त गिरावट आई है। इसी तरह सरकार विरोधी माहौल होने के बावजूद भाजपा बहुमत से काफी दूर है। दरअसल, कांग्रेस और भाजपा दोनों के खेल को बिगाड़ रही है आप। पहली बार किसी चुनाव में भाग ले रही आप को दिल्ली के 21 प्रतिशत से ज्यादा लोग पसंद कर रहे हैं।
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु जनादेश की संभावना बनती दिख रही है। साप्ताहिक ‘हमवतन’ और ‘न्यूज एक्सप्रेस’ मीडिया एकेडमी द्वारा 20 सितंबर से चार अक्टूबर के बीच 7, 550 मतदाताओं के बीच कराए गए सर्वे से, जो रुझान सामने आ रहे हैं, वे त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा कर रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में कांग्रेस को भारी झटका लग सकता है। सर्वे का दूसरा पहलू यह भी है कि भाजपा के तमाम दावों के विपरीत उसकी भी सरकार बनने की संभावना नहीं है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भाजपा के बढ़ते कदमों को रोक रही है। साथ ही कांंग्रेस के भी कई इलाके आप के कब्जे में जाते दिख रहे हैं। ग्रामीण, शहरी, इलाकों के युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं के बीच दरवाजे से दरवाजे किए गए सर्वे में कांग्रेस के पक्ष में 26 सीटें आती दिख रही हैं।
भाजपा को भी इतनी ही सीटें मिलने की संभावना है। जबकि आप को 12 सीटें और अन्य दलों के बीच छह सीटें जाती दिख रही हैं। कांग्रेस के पक्ष में 29.8 फीसदी जनता विश्वास जता रही है, जबकि भाजपा के पक्ष में 36.75 फीसदी जनता वोट डालने के मूड में है। अभी एक साल के भीतर आंदोलन के गर्भ से निकली केजरीवाल की पार्टी आप को 21.20 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं, जबकि 12.25 फीसदी लोग अभी अन्य दलों या निर्दलीय पर यकीन कर रहे हैं।
दिल्ली के लोगों का मिजाज बदल रहा है। लगता है शीला दीक्षित के शासन से लोग ऊब से गए हैं। दिल्ली में 15 सालों में जो विकास हुए हैं, उससे लोग गदगद तो हैं, लेकिन महंगाई और भ्रष्टाचार की वजह से दिल्ली की जनता अब शीला दीक्षित की जगह केजरीवाल को ज्यादा तरजीह दे रही है। केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में 35.35 फीसदी जनता पसंद कर रही है, जबकि शीला दीक्षित को अगले मुख्यमंत्री के लिए 29.4 फीसदी और विजय गोयल को मात्र 27 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं।
दिल्ली की जनता भले ही इस चुनाव में भाजपा को पसंद कर रही है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल को ज्यादा तरजीह दे रहे है। भाजपा को वोट देने वाले करीब 15 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो सीएम के रूप में केजरीवाल को पसंद कर रहें हैं। इस सर्वे का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के बड़े नेता अब तक चुनाव जीतते रहे हैं, वहां उनके खिलाफ लोगों में ज्यादा गुस्सा है। करीब दर्जन भर कांग्रेस की सीटें ऐसी हैं, जहां बड़े स्तर पर उलटफेर की संभावना है। कांग्रेस के चार मंत्रियों की हार तय मानी जा रही है, क्योंकि उनके इलाके में कहीं भाजपा के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है, तो कहीं केजरीवाल के प्रति।
चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में भाजपा के प्रति जिन लोगों की रूचि बढ़ी है, उसके लिए मोदी फैक्टर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आठ विधानसभा ऐसे पाए गए हैं, जहां केवल मोदी के नाम पर भाजपा की जीत होती दिख रही है।
हालांकि जनता क ा रुझान चुनाव होते-होते बदलते रहते हैं, लेकिन इस सर्वे से यह पता चलता है कि दिल्ली में जो 15 सालों में विकास हुए हैं, वह भ्रष्टाचार और महंगाई के नीचे दबते दिख रहे हैं। शीला आज भी लोगों की पसंद हैं और लोग मानते भी हैं कि दिल्ली में विकास हुए हैं, लेकिन महंगाई, बेकारी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों ने कांग्रेस की जमीन को कमजोर किया है।
सर्वे में कुछ अलग-अलग पहलुओं पर भी लोगों की राय जानने की कोशिश की गई। कांग्रेस से अगले मुख्यमंत्री के रूप में कौन बेहतर साबित हो सकता है? इस सवाल के जवाब में जो लोगों की राय मिली है, उसमें कांगे्रस के भीतर शीला दीक्षित सबसे ऊपर हैं।
31 फीसदी लोग शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, सुभाष चोपड़ा को 11 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं। 22 फीसदी लोगों की पसंद मुख्यमंत्री के रूप में जयप्रकाश अग्रवाल हैं, तो 36 फीसदी लोगों ने किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही है।
यही हाल भाजपा के भीतर भी है। हालांकि भाजपा ने अभी अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल को प्रोजेक्ट करने की बात हो रही है, वह भाजपा के पक्ष में नहीं है। विजय गोयल को मुख्यमंत्री के रूप में 24 फीसदी लोग पसंद कर रहे हैं, जबकि 47 फीसदी लोग सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाह रहे हैं। भाजपा अगर सुषमा स्वराज के नजरिये से चुनाव को देखती है, तो भाजपा को और सीटें मिलने की संभावना बढ़ सकती है। 11 फीसदी लोग हर्षवर्धन को और 18 फीसदी लोग किसी अन्य को भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में पसंद कर रहे हैं।
दिल्ली के इस सर्वे में भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार अन्य संभावित प्रधानमंत्री प्रत्याशियों में सबसे आगे निकलते दिख रहे हैं। दिल्ली की 52.7 फीसदी जनता मोदी को अगला प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में हैं, दूसरे नंबर पर राहुल गांधी हैं। उनके पक्ष में 28.15 फीसदी जनता खड़ी है। सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बने, इसकी चाहत 6.25 फीसदी लोगों में है। दिल्ली के इस सर्वे में छह फीसदी लोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि लालकृष्ण आडवाणी के पक्ष में तीन फीसदी और मुलायम सिंह यादव और मायावती के पक्ष में दो-दो फीसदी लोग समर्थन में हैं।
सर्वे रिपोर्ट
‘हमवतन’ एवं ‘न्यूज एक्सप्रेस’ मीडिया एकेडमी द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव पर सर्वे-2013
-सर्वे की अवधि ( 20 सितंबर से 04 अक्टूबर)
-कुल विधानस सीट- 70
-कुल जनमत संग्रह- 7550
पार्टी लोगों की राय (में) संभावित सीटें
कांग्रेस 29.8 – 26
भाजपा 36.75 – 26
आप 21.20 – 12
अन्य 12.25 – 6
- त्रिशंकु विधानसभा के आसार
- कांग्रेस को हानि, भाजपा की बढ़त पर झाडू का अडंÞगा
- किसी भी दल को बहुमत नहीं
भाजपा में सीएम के रूप में कौन है
जनता की पसंद (प्रतिशत में)
विजय गोयल – 24
हर्षवर्धन- 11
सुषमा स्वराज- 47
अन्य- 18
युवाओं की पसंद
मोदी – 58
राहुल – 42
महिलाओं की पसंद
राहुल – 62
मोदी- 48
कांग्रेस में सीएम के रूप में जनता की पसंद (प्रतिशत में)
शीला दीक्षित – 31
सुभाष चोपड़ा – 11
जयप्रकाश अग्रवाल- 22
अन्य – 36
देश का प्रधानमंत्री कौन बने? लोगों की राय (प्रतिशत में)
नरेंद्र मोदी- 52.7
राहुल गांधी- 28.15
सोनिया गांधी- 6.25
नीतीश कुमार- 6
लालकृष्ण आडवाणी- 3
मुलायम सिंह यादव- 2
मायावती – 2
दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बने, इस पर जनता की राय (प्रतिशत में)
केजरीवाल – 35.35
शीला दीक्षित – 29.4
विजय गोयल – 27.05
पार्टियों के बारे में लोगों की राय
प्रश्न 05 – सबसे भ्रष्ट पार्टी लोगों की नजर में
कांग्रेस भाजपा सभी पार्टियों
48 41 11
प्रश्न 07 – दिल्ली की प्रमुख समस्या लोगों की नजर में
भ्रष्टाचार बेरोजगारी पानी/बिजली महिलाओं से छेड़छाड़
48 28 17 7
प्रश्न 08 – क्या अपराधियों को टिकट मिलना चाहिए?
नहीं हां नहीं पता
87 3 10
प्रश्न 10 – दिल्लीवासियों की नजर में देश की समस्या
भ्रष्टाचार आतंकवाद बेरोजगारी महंगाई
41 20 33 14
प्रश्न 11 -लोगों की नजर में राजनीति कैसी हो?
सेक्युलर धार्मिक विकास
83 11 6
प्रश्न- 12 -किस आधार पर वोट देंगे
पार्टी के नाम पर उम्मीदवार के नाम पर
78 22
प्रश्न -13-विकास के बारे में दिल्ली की जनता की राय
विकास हुआ है विकास नहीं हुआ नहीं जानते
73 18 9
प्रश्न -14 क्या शीला दीक्षित को हटना चाहिए?
हां नहीं नहीं जानते
46 49 5
प्रश्न – 16 क्या आप अपने विधायक से खुश हैं?
हां नहीं पता नहीं
34 57 9
प्रश्न- 19 दिल्ली पुलिस का कार्य कैसा है?
अच्छा बेकार मालूम नहीं
33 52 15
प्रश्न – 20 देश के दूसरे इलाके में हाल में हुए दंगे जनता की नजर में
राजनीतिक सांप्रदायिक नहीं जानते
73 22 5

 

Wednesday, October 9, 2013

'रामदेव की सभाओं का खर्चा बीजेपी के खाते में जुड़ेगा'

रायपुर: छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग ने योग गुरू बाबा रामदेव की जनसभाओं का खर्चा बीजेपी के खर्चे में जोड़ने का आदेश दिया है.
चुनाव आयोग ने वीडियो देखने के बाद ये फैसला किया.
पिछले हफ्ते बाबा रामदेव ने छत्तीसगढ़ में योग की सभाएं लगाईं थीं जिनमें छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी.
कांग्रेस पार्टी ने इसे लकेर चुनाव आयोग से शिकायत की थी और मांग की थी रामदेव के खर्चे को बीजेपी के खाते में जोड़ा जाए.
ग़ौरतलब है कि बाबा रामदेव खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन करते हैं और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत करते हैं.

मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य व कांग्रेस के सामने चुनौतियों का अंबार,आसान नहीं दिखलायी देता भाजपा के गढ को भेदना?

भोपाल/मध्यप्रदेश में चुनाव को लेकर घमासान जारी है और सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी लगातार जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की बात और शिव का साथ लेकर जनता के मध्य जा रही है। लगभग एक दशक से प्रदेश में राज्य कर रही भाजपा और वनवास भोग रही कांग्रेस अपने-अपने प्रयास में लगी हुई है। एक का प्रयास सत्ता में पुन: तीसरी बार वापिसी का है तो दूसरी का दस बर्ष के वनवास को समाप्त करने कर राज्य प्राप्ति का है। दोनो के अपने -अपने दावे हैं तो आरोप-प्रत्यारोप का भी सिलसिला प्रारंभ है। प्रचार प्रसार के माध्यम से जनता के बीच जाकर अपनी-अपनी बात दोनो रख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी जहां अपने किले को अभेद बनाने की दिशा में पिछले लगभग दो बर्ष से प्रयास कर हर उस कमी को दूर करने में लगी हुई है जो उसके किले को भेद सकने की आशंका को व्यक्त करती है। वहीं कांग्रेस गढ को ढहाने के प्रयास में अपना अभियान प्रारंभ करने में काफी पीछे दिखलाई देती है। क्योंकि आप देखेंगे कि हाल के कुछ ही सप्ताह पूर्व इसकी कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गयी है जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज इस समय प्रदेश के लगभग सत्तर प्रतिशत क्षेत्र को जनार्शीवाद यात्रा के माध्यम से नाप चुके थे। कई धडों में बटी एवं केन्द्र सरकार की लगातार विफलताओं के बीच घिरी कांग्रेस की कमान प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का सौपने पर हालांकि कांग्रेस में उत्साह तो आया परन्तु इस उत्साह को अपने पक्ष मत मतदाताओं से डलवाने में कांग्रेसी कितने कामयाब हो पाते हैं यह प्रश्र चिंह अंकित होता नजर आ रहा है। यह बात अलग है कि अनेक मंचों पर हम साथ-साथ है का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है परन्तु यह कितने साथ-साथ हैं किसी से छिपा नहीं है। लगातार कई बर्षों तक शांत रहने के बाद बर्षाती मेंढक की तरह नेताओं का टर्राने को जनता समझ रही है। क्योंकि जिस प्रकार के आरोपों की झडी लगायी जा रही है उसमें कितना दम है किसी से छिपा नहीं है इस बात की चर्चा जनता में आसानी से सुनी जा सकती है। कांग्रेस का प्रयास है कि वह एक बडी दीवार को खडा कर भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने से रोके और वह उसी के तहत कार्य करने में लगी हुई है।
ज्योति का आकर्षण -
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेता अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना स्टार प्रचारक मान चुकी है जो लगातार सभाओं और रोड शो के माध्यम से मतदाताओं के मध्य पहुंच उनको भावनात्मक मोडने के प्रयास में लगे हुये हैं। कभी गीत गाकर तो कभी गुनगुना कर हालांकि वह अपने पिता की तरह ही जनता में आकर्षण का केन्द्र बन जाते हैं और जनता उनको देखने के लिये लालायित दिखलायी देती है। प्रदेश चुनाव समीति की कमान संभाल चुके सिंधिया को तो कुछ प्रदेश का मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानने लगे हैं जबकि उनकी भूमिका को प्रदेश में सत्ता दिलाने के लिये तय किया गया है। देखा जाये तो राज्य में एक दो नहीं कई दिग्गजों की दावेदारी उक्त पद को लेकर होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। देखा जाये तो गुटबाजी से त्रस्त रही कांग्रेस लम्बे समय तक प्रदेश में दिशाहीन रही। विपक्ष में होते हुए भी सत्तारूढ़ दल के लिए चुनौतियां खड़ी करने में असफल रही। प्रदेश में लम्बे समय से चली आ रही गुटबाजी का मामला राहुल गांधी के सामने भी खुलकर सामने आ चुका है। वैसे देखा जाये तो ज्योतिरादित्य खुद को मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से बाहर बतलाते हैं परन्तु जिस तरह से पार्टी उन्हें सामने लाकर प्रस्तुत किया जा रहा है उससे तो एैसा प्रतीत होता है कि वह अपना सेनापति अब सिंधिया को ही मानकर चल रही है और उनकी भूूिमका प्रदेश में सरकार बनवाने में अहम होगी। वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रदेश में मृत प्राय हो चुकी कांग्रेस में उर्जा का संचार तो हुआ है ।
क्या हो पायेंगे कामयाब-
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विशाल गढ को भेदने में सिंधिया क्या कामयाब हो पायेंगे इस बात पर प्रश्र उपज रहे हैं। क्योंकि यह गढ कोई सामान्य नहीं माना जा सकता जिस तरह से भाजपा ने कार्य पिछले दो बर्षो से प्रारंभ कर दिया था वह एक बडी रणनीति का हिस्सा है। वहीं चुनाव प्रबंधन के साथ ही हर छोटी सी छोटी बात को समझ आगे बढना अपने कार्यकर्ताओं को लगातार उर्जा और ज्ञान से भरने का प्रयास भाजपा बर्षों से र रही है। जबकि अपनी जगजाहिर गुटबाजी से अभी भी उबर नहीं पायी है भले ही वह हम साथ-साथ हैं का ढिडोरा पीटे। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ताओं का ग्वालियर में कुछ माह पूर्व प्रशिक्षण और उसके बाद विशाल कार्यकर्ता महाकुंभ का आयोजन ने विपक्षियों की नींद तो उडा ही दी है। वहीं क्या हुआ तेरा वादा को गुन गुनाने वाले के तरकस के तीरों के संहारों को भाजपा आसानी से झेल अपने लक्ष्य की ओर बढ रही है। सूत्र बतलाते हैं कि भाजपा संगठन ने यह तय कर रखा है कि अभी जबाब जिनका जरूरी वही दो समय आने पर प्रहार किया जायेगा। वहीं कांग्रेस के नेताओं को लगातार तिलमिलाहट का अनुभव होने के कारण कुछ न कुछ मुंह से एैसे शब्द निकलना भाजपा के लिये हथियार बन रहे हैं या वह उनका प्रयोग अधिसूचना जारी होने के बाद करेगी। इसे तिलमिलाहट का नतीजा ही कहा जायेगा कि दिग्विजय सिंह का राघव जी के संस्कारों की बात तो की परन्तु वह अभिषेक मनु सिंघवी,नारायण दत्त तिवारी सहित अनेक नेताओं को भूल गये?सिंधिया अपने आरोपों में प्रदेश के भ्रष्टाचार को बताते हैं पर केन्द्र के मामले में खामोश हो जाते हैं? हाल ही में इनका प्रदेश में नर्मदा एवं अन्य नदियों के साथ प्रदेश सरकार द्वारा किया जाने वाला बलात्कार बतलाना इसी तिलमिलाहट का हिस्सा माना जा सकता है? अब भाजपा तो इसको हथियार बनायेगी ही? वहीं कांग्रेस में ही दिग्गजों की कमी नहीं है जो कि अपने आपको मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानते थे और हैं। जिनमें प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया,दिग्विजय सिंह,कमलनाथ,सुरेश पचौरी,अजय सिंह राहुल के नाम प्रमुख बतलाये जाते हैं। वहीं भूरिया का राहुल के संग साये की तरह साथ रहना और सिंधिया समर्थको का राहुल के समक्ष सिंधिया समर्थन में नारेबाजी करना दिल में चोट तो पहुंचा ही रहा होगा ? जानकारों की माने तो इस घटना का असर बाद में दिखलायी देगा। ज्ञात हो कि भूरिया प्रमुख नाम के तौर पर उभरे और अपने आप शिथिल हो गए जबकि ज्योतिरादित्य कांग्रेस की बुझी हुई मशाल को फिर से प्रज्जवलित करने में निरंतर कामयाब होते नजर आ रहे हैं। वहीं प्रदेश में आगमन के दौरान कांग्रेस कार्यालय में हुये घमासान पत्रकारों के साथ हुये दुर्वव्हार और राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह को बैठक से बाहर रखना भी अपने परिणाम तो दिखलायेगा ही? इसी क्रम में टिकिट वितरण के मामले में भी देखें तो महिला कांग्रेस और युवक कांग्रेस के लगभग 6 दर्जन सीटों पर प्रबल दावेदारी जतलायी जा रही है। वहीं दिग्गजों के पुत्रों को टिकिट देने की मांग का मामला भी सामने आ रहा है जो मुश्किल पैदा करेगा। सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश कांग्रेस के फिलहाल दो कदवर नेताओं के बेटों के लिये दो विधायकों के टिकट काटने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। यह बात अलग है कि प्रदेश चुनाव अभियान समिति ने अपनी प्रथम बैठक के दौरान मौजूदा विधायकों को पुन: से चुनावी समर में उतारने की सहमति बनाकर प्रस्ताव स्क्रीनिंग कमेटी को भेज दी है। परन्तु सूत्रों की माने तो राघौगढ़ विधायक मूल सिंह एवं थांदला विधायक वीर सिंह भूरिया का टिकट कटना तय माना जा रहा है। कांग्रेस के ही राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया विधानसभा चुनाव लडाऩा चाहते हैं। जयवर्धन सिंह पिछले दो साल से राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय बतलाये जा रहे है और उक्त सीट पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पारंपरिक सीट मानी जाती है। जानकारी के अनुसार जयवर्धन के लिए सीट छोडऩे के बदले में मूल सिंह को संगठन में कोई महत्वपूर्ण पदाधिकारी बनाने पर विचार चल रहा है। वहीं दूसरी ओर कांतिलाल भूरिया के पुत्र विक्रांत भूरिया को प्रदेश की झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने पर जोर दिया जा रहा है। विक्रान्त पिछले कुछ समय से इसी क्षेत्र में सक्रिय दिखलायी दे रहे हैं। ज्ञात हो कि भूरिया ने कुछ माह पूर्व वीर सिंह भूरिया को झाबुआ जिले का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था जो इसी रणनीति का हिस्सा बतलाया जा रहा है। इसी क्रम में कांग्रेस के ही कुछ और दिग्गजों के पुत्रों के नाम बतलाये जाते हैं जिनमें कमलनाथ के बेटे का भी सम्मिलित होने की चर्चा है। ऐसी स्थिति में पार्टी को अनेक मुश्किलों का सामना तो करना ही पडेगा?
प्रमुख चुनौतियां -
मध्यप्रदेश में सत्ता प्राप्ति के लिये कांगे्रस के सामने अनेको चुनौतियां सामने हैं। भारतीय जनता पार्टी जहां अपनी तैयारियों के साथ तय समय पर आक्रमण कर रही है और लगातार प्रचार-प्रसार में कई गुना आगे निकल चुकी है तो कांग्रेस के सामने इसका पीछा कैसे किया जाये यह एक बडी समस्या नजर आ रही है। शिवराज विभिन्न जनकल्याणकारी एवं विश्व की अकेली अनोखी प्रदेश सरकार की योजनाओं के माध्यम से जनता मेें पैठ बना चुके हैं। वहीं राजनीति के दिग्गजों की रणनीति तथा जनता के मन में नमो अर्थात् नरेन्द्र मोदी,शिवराज और कमल का फूल प्रवेश करा सकने में काफी कामयाब हो चुके हैं जबकि कांग्रेस में इसका आभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है? वहीं कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर हुए दस साल बीत चुके हैं। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती है टिकटों का बंटवारा। जोड़ तोड़ से टिकट हासिल करने वाले, योग्य लेकिन वंचित रहने वाले, असंतुष्ट जो जोड़ तोड़ के बाद भी टिकट हासिल ना कर पाए। इन तीनो ही श्रेणी के प्रत्याशी प्रदेश में कांग्रेस की लुटिया डुबोने के लिए काफी हैं। पार्टी के भीतर टिकट हासिल करने के लिए ज्योतिरादित्य की अनुकम्पा के साथ-साथ पचौरी गुट, दिग्विजय गुट आदि में घमासान जारी है। वहीं सूत्र बतलाते हैं कि पार्टी में फूल छाप कांग्रेसी भी अपनी अहम भूमिका को पूर्व की भांति निभाने में इस बार बडी ताकत लगायेंगे? भाजपा केन्द्र की नाकामयाबी,महंगायी,प्रदेश के साथ किये जा रहे सौतेलेपन,भ्रष्टाचार के साथ ही अपनी उपलब्धियों को लेकर कार्य कर रही है। देखा जाये तो मोदी,शिव के साथ ही कमल का जादू सिर चढकर बोल रहा है जो मतदाताओं को पूर्ण रूप से भाजपा के पक्ष में करते देखा जा सकता है। पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी कमलनाथ के हाथो में है। घोषणापत्र तैयार करने की जिम्मेदारी सुरेश पचौरी, सत्तारुढ भाजपा के खिलाफ आरोप पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जबकि चुनाव प्रचार अभियान समिति की कमान ज्योतिरादित्य के राजसी कंधो पर देते हुये आगे कर दिया गया है इसलिए प्रश्न लाजिमी है कि क्या सिंधिया आगामी चुनाव में भाजपा को हैट्रिक लगाने से रोक सकेंगे?

Tuesday, October 8, 2013

Google survey: 10 most searched leaders


Narendra Modi, BJP: The BJP's top man for 2014 is the leader most searched for online. Mr Modi is currently the Chief Minister of Gujarat

Data source: Google 
Duration: March 2013 to August 2013



Rahul Gandhi, Congress: In second place is the Gandhi scion and vice-president of the Congress. Rahul Gandhi represents Amethi in the Parliament.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


Sonia Gandhi, Congress: At number three is Rahul's mother and Congress chief Sonia Gandhi. Mrs Gandhi has been party leader since 1998.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


Dr Manmohan Singh, Congress: The current Prime Minister of India is the fourth most searched leader.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


Arvind Kejriwal, Aam Aadmi Party: Political debutant Arvind Kejriwal rounds up the top five. Mr Kejriwal will fight the Delhi elections against outgoing Chief Minister Sheila Dikshit.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


J Jayalalithaa, AIADMK: The reigning Chief Minister of Tamil Nadu is the second woman leader among the top 10. She was elected to the state legislature from Srirangam in 2011.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


Akhilesh Yadav, Samajwadi Party: The current Chief Minister of Uttar Pradesh comes in at number seven. Mr Yadav is India's youngest ever Chief Minister.

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Duration: March 2013 to August 2013


Nitish Kumar, Janata Dal (U): Chief Minister of Bihar since 2005, Nitish Kumar has been credited with bringing winds of change and development to his state.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013


Sushma Swaraj, BJP: Leader of the Opposition in the Lok Sabha, Ms Swaraj is the third woman leader on this list. She represents Vidisha in Madhya Pradesh in Parliament.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013
 


Digvijay Singh, Congress: The AICC general secretary and former Chief Minister of Madhya Pradesh rounds up the top 10.

Data source: Google
Duration: March 2013 to August 2013

Narendra Modi has united the rank and file of BJP: Chidambaram

After terming Narendra Modi's claims on growth during the NDA regime as a "fake encounter of facts", Finance Minister P Chidambaram again targeted BJP's prime ministerial candidate, saying the hype surrounding him was "largely media created". But the minister, in an exclusive interview to news agency Reuters, also conceded that the Gujarat Chief Minister had "gained some traction among the urban youth", while also managing to unite "the rank and file of BJP". He also added that Mr Modi was no Vajpayee, BJP's iconic former prime minister, and had a "very, very checkered track record."

गुजरात के मुख्‍यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने पूरे किए 12 साल

नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर यानी कि कल गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर लगातार 12 साल पूरा कर लिए हैं. इस दौरान उन्होंने 'विकास के गुजरात मॉडल' को भुनाने में कामयाबी पाई ही, 2014 के आम चुनावों के लिए बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार बनने में भी सफल हुए.
एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 'यह एक रिकॉर्ड है. किसी भी मुख्यमंत्री ने लगातार 12 साल तक सेवा नहीं की है.' किसी जमाने में गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले मोदी एक प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए थे और फिर बीजेपी से जुड़े. आरएसएस में प्रचारक की भूमिका निभाने से लेकर अब तक मोदी ने राजनीति में एक लंबा सफर तय किया है.
मोदी ने 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी. उनसे पहले केशुभाई पटेल राज्य के मुखिया थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद से मोदी लगातार तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर विपक्ष को एक तरीके से हाशिए पर धकेल चुके हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए 63 साल के मोदी को पिछले महीने बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया.

Monday, October 7, 2013

Mallika Sherawat: I like Narendra Modi, not interested in Rahul Gandhi



Mallika Sherawat says she is lonely and is looking for true love
Actress Mallika Sherawat says in her upcoming reality series that she is not looking for a husband but rather wants to find 'true love'.

The 36-year-old actress will make her small screen debut with The Bachelorette India -Mere Khayalon Ki Mallika, which is a spin-off from the American competitive reality dating game show.

"There is no promise of marriage. I am lonely and am looking for true love. It is about the journey and not the destination," Mallika said.

However, the Murder actress said that when she decides to settle down in the future, she will chose someone who has nothing to do with the showbiz world.

"I would not marry anyone from the field of entertainment. I am in the world of glitz and glamour which is make believe world. I want normalcy in life and that is why you will see actresses getting married to doctors and businessmen," she said.

When asked if she would like to marry someone from abroad, Mallika, who regularly visits the US for work, said, "It is good to work there but people lack human emotions. I would marry someone from India."

The Indian version of the show will have 30 contestants vying for Mallika's attention.

"It is a reality show so whatever happens on a date and on the show is all real. Nothing is scripted. We have not created anything falsely. I am very much real in the show I am not acting," she said.

Mallika considers Gujarat Chief Minister Narendra Modi as the perfect bachelor and on his birthday the actress even recorded a video message for him.

"I am hopelessly romantic girl. I like him (Narendra Modi). I am not interested in Rahul Gandhi," she added.There were reports that Mallika has charged a whopping Rs 30 crore for 30 episodes of this show. When asked about the same, she said, I am not denying it... I cannot lie."

Mallika is not the only celebrity looking for her 'Mr Right' on TV. Previously, Rakhi Sawant and Ratan Rajput too starred in marriage reality shows but without much successs.

Rahul Mahajan was the only person who married on a TV show.

The Bachelorette India will go on air from October 7 on Life OK.

CBI to say Ishrat Jahan was 'innocent college girl' in next chargesheet


New Delhi: The CBI will soon declare that  it has found no evidence of terrorist leanings for 19-year-old  Ishrat Jehan, who was killed by the Gujarat police in 2004 along with three men.

Sources say that in its next chargesheet, to be filed within the next two weeks, the agency will say that Ishrat was "an  innocent college girl", presenting a boldface controversy for chief minister Narendra Modi, who is in the running for Prime Minister.

The BJP has already alleged that the ruling Congress, unable to politically combat Mr Modi's surging popularity, is using the CBI to question his credentials and mar his reputation as the national elections approach.

In its first chargesheet presented in a Gujarat court in July, the CBI accused seven senior policemen of murdering Ishrat and her three male companions  in "cold blood" and of planting an AK-56 at the scene of the shooting to portray the victims as terrorists.

One of those officers, DG Vanzara, who was then Deputy Commissioner of the Amedabad Crime Branch, wrote an explosive letter to Mr Modi from jail recently.

He alleged that Mr Modi's close aide, Amit Shah, who was Home Minister when Ishrat was killed, was aware of the police's actions, but that the cops have now been betrayed by a weak state government.  The senior officer repeated the defense that his team was trying to fight Pakistani terrorists.

The CBI says that Mr Vanazara has refused to cooperate and share more details of the accusations he made in his note against Mr Shah. So far, the CBI has not interrogated Mr Shah, or linked either him or Mr Modi to its investigation.

Candidates of delhi election, दिल्ली के दावेदार


दिल्ली के लोग क्या केवल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही वोट करेंगे... अरविंद केजरीवाल के साथ चर्चा कर रहे हैं रवीश कुमार इस बार के हम लोग में।

Friday, October 4, 2013

Toilets before temples, says Narendra Modi; how BJP has changed, says Congress

New Delhi: Narendra Modi earned a round of loud applause and much cheering when he told 7000 college students in a Delhi stadium on Wednesday that he would build more toilets in India before he would build temples. (Make toilets before temples: Narendra Modi tells students in Delhi)

"My identity is of a Hindutvawadi, but I say build toilets before you build temples," the BJP's candidate for prime minister said, putting development before Hindutva as he rued the fact that many Indians still do not have access to basic sanitation.

The BJP is pleased with the punch-line and with the development agenda of its leader. "Kudos to Namo giving more importance to toilets than places of worship. Vivekanand also said Daridra sewa is Narain seva (serving the poor is serving the god)," tweeted Bihar BJP leader Sushil Kumar Modi today.

But the Congress says, not so fast. Did Modi's BJP not criticize union minister Jairam Ramesh last year for saying much the same thing?

"BJP demanded Jairam Ramesh's apology, backing Modi on same statement now, shows BJP's double standards," tweeted Congress spokesperson and minister Rajeev Shukla this morning.

A year ago, almost to the day, Mr Ramesh had said, "I think toilets are more important than temples. No matter how many temples we go to, we are not going to get salvation. We need to give priority to toilets and cleanliness."

The BJP slammed Mr Ramesh with party leader Rajiv Pratap Rudy saying, "It would be good for Mr Ramesh that out of his exuberance he stops making such comments which will destroy the fine fabric of religion and faith."

Even Mr Ramesh's own party, the Congress, was not terribly pleased. The ruling party said it respects "the sanctity of every religious place". Party spokesperson Manish Tewari also said, "The Congress party believes in sarvadharmasambhav - equal respect for all religions and religious places.